इस अवसर पर जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. बी.के. सिंह ने कहा –बाल व नाखूनों को छोड़कर शरीर के किसी भी अंग में व किसी को भी टीबी हो सकती है । टीबी पूर्णतया ठीक होनी वाली बीमारी है। सरकार द्वारा टीबी की जांच से लेकर इलाज तक पूरी तरह मुफ्त है। डॉ. सिंह ने कहा – विद्यालयों में हर सप्ताह एक बार प्रार्थना सभा में, अभिभावकों – शिक्षक बैठक में, मीना मंच में टीबी के मुद्दे पर भेदभाव रहित समाज बनाने , छींकते समय मुंह को कवर करना आदि विषयों पर बात की जाएगी। टीबी से संबन्धित सूचना, शिक्षा एवं संचार (आईईसी) सामग्रियों को विद्यालयों में डिसप्ले किया जायेगा। 24 मार्च को सभी विद्यालयों में टीबी दिवस मनाया जाएगा। जिला क्षय रोग अधिकारी ने बताया – हर टीबी यूनिट को 3-4 प्राथमिक विद्यालयों से संबंध कर दिया गया है ताकि संबधित विद्यालय के टीबी से ग्रसित छात्र की जांच व इलाज सुनिश्चित हो सके।
उन्होने अध्यापकों से कहा – पिछले तीन माह में अगर किसी बच्चे का वजन कम हो रहा है, उसके कपड़े ढीले हो गए हैं या उसकी भूख कम हो गई है या उसे लगातार खांसी आ रही है तो अध्यापकों की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह संबन्धित बच्चे अभिभावकों को सूचित करें कि बच्चे की डाक्टरी जांच कराएं ।कुपोषण व टीबी का गहरा संबंध है। यदि बच्चा कुपोषित है तो उसे टीबी होने की संभावना अधिक होती है। इसलिए सरकार द्वारा पोषण के लिए मरीज को प्रतिमाह निश्चय पोषण योजना के तहत 500 रुपए की धनराशि दी जाती है जो कि उसके खाते में सीधे जाती है।
राष्ट्रीय पुनरीक्षित क्षय रोग नियंत्रण कार्यक्रम(आरएनटीसीपी) के सीनियर ट्रीटमेंट सुपरवाइज़र अभय चन्द्र मित्रा ने अध्यापकों को टीबी के लक्षण, बचाव एवं इलाज के संबंध में विस्तार से जानकारी दी। इस अवसर पर आरएनटीसीपी के जिला पब्लिक प्राइवेट समन्वयक फहीम अहमद, अन्य कर्मचारी, रीच संस्था की प्रतिनिधि मुक्ता शर्मा व विभिन्न सरकारी विद्यालयों के अध्यापक उपस्थित थे। कार्यशाला के अंत में शिक्षा विभाग की परियोजना अधिकारी रेणु कश्यप व जिला समन्वयक नीलू तिवारी ने अन्य शिक्षकों के साथ मिलकर अगले चार माह की कार्ययोजना का खाका तैयार किया कि वह किस तरह से इस अभियान में अपना सहयोग देंगे और एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया।