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राजधानी में अध्यापकों को टीबी के प्रति किया गया जागरूक

locationलखनऊPublished: Dec 13, 2019 06:34:09 pm

Submitted by:

Ritesh Singh

बाल व नाखूनों को छोड़कर शरीर के किसी भी अंग में व किसी को भी टीबी हो सकती है

राजधानी में अध्यापकों को टीबी के प्रति किया गया जागरूक 

राजधानी में अध्यापकों को टीबी के प्रति किया गया जागरूक 

लखनऊ, टीबी हारेगा, देश जीतेगा” यह नारा प्रधानमंत्री जी ने दिया है और उनका सपना देश व प्रदेश को 2025 तक टीबी मुक्त करना है । यह कहना है शहर उत्तर विधान सभा क्षेत्र के विधायक नीरज बोरा का। वह शिक्षा भवन में स्वास्थय विभाग द्वारा अध्यापकों के लिए आयोजित संवेदीकरण कार्यशाला में बोल रहे थे। उन्होने कहा – बच्चे देश का भविष्य होते हैं और वह 6-7 घंटे स्कूल में बिताते हैं। अध्यापक, ऐसे बच्चों की पहचान कर जिनमें टीबी के लक्षण दिखाई दें उन्हें जांच के लिए अस्पताल भेज सकते हैं या उनके अभिभावकों को इसकी सूचना दे सकते हैं। उन्होने कहा – जनांदोलन के माध्यम से ही हम लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। जनप्रतिनिधियों की सहभागिता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से रिसोर्स ग्रुप फॉर एजुकेशन एंड एडवोकेसी फॉर कम्यूनिटी हेल्थ (रीच) संस्था की पहल पर विधायक डॉ. नीरज बोरा इस अभियान से जुड़े हैं।
इस अवसर पर जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. बी.के. सिंह ने कहा –बाल व नाखूनों को छोड़कर शरीर के किसी भी अंग में व किसी को भी टीबी हो सकती है । टीबी पूर्णतया ठीक होनी वाली बीमारी है। सरकार द्वारा टीबी की जांच से लेकर इलाज तक पूरी तरह मुफ्त है। डॉ. सिंह ने कहा – विद्यालयों में हर सप्ताह एक बार प्रार्थना सभा में, अभिभावकों – शिक्षक बैठक में, मीना मंच में टीबी के मुद्दे पर भेदभाव रहित समाज बनाने , छींकते समय मुंह को कवर करना आदि विषयों पर बात की जाएगी। टीबी से संबन्धित सूचना, शिक्षा एवं संचार (आईईसी) सामग्रियों को विद्यालयों में डिसप्ले किया जायेगा। 24 मार्च को सभी विद्यालयों में टीबी दिवस मनाया जाएगा। जिला क्षय रोग अधिकारी ने बताया – हर टीबी यूनिट को 3-4 प्राथमिक विद्यालयों से संबंध कर दिया गया है ताकि संबधित विद्यालय के टीबी से ग्रसित छात्र की जांच व इलाज सुनिश्चित हो सके।
उन्होने अध्यापकों से कहा – पिछले तीन माह में अगर किसी बच्चे का वजन कम हो रहा है, उसके कपड़े ढीले हो गए हैं या उसकी भूख कम हो गई है या उसे लगातार खांसी आ रही है तो अध्यापकों की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह संबन्धित बच्चे अभिभावकों को सूचित करें कि बच्चे की डाक्टरी जांच कराएं ।कुपोषण व टीबी का गहरा संबंध है। यदि बच्चा कुपोषित है तो उसे टीबी होने की संभावना अधिक होती है। इसलिए सरकार द्वारा पोषण के लिए मरीज को प्रतिमाह निश्चय पोषण योजना के तहत 500 रुपए की धनराशि दी जाती है जो कि उसके खाते में सीधे जाती है।
राष्ट्रीय पुनरीक्षित क्षय रोग नियंत्रण कार्यक्रम(आरएनटीसीपी) के सीनियर ट्रीटमेंट सुपरवाइज़र अभय चन्द्र मित्रा ने अध्यापकों को टीबी के लक्षण, बचाव एवं इलाज के संबंध में विस्तार से जानकारी दी। इस अवसर पर आरएनटीसीपी के जिला पब्लिक प्राइवेट समन्वयक फहीम अहमद, अन्य कर्मचारी, रीच संस्था की प्रतिनिधि मुक्ता शर्मा व विभिन्न सरकारी विद्यालयों के अध्यापक उपस्थित थे। कार्यशाला के अंत में शिक्षा विभाग की परियोजना अधिकारी रेणु कश्यप व जिला समन्वयक नीलू तिवारी ने अन्य शिक्षकों के साथ मिलकर अगले चार माह की कार्ययोजना का खाका तैयार किया कि वह किस तरह से इस अभियान में अपना सहयोग देंगे और एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया।
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