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लखनऊ की इस टीचर का न्यूयॉर्क में लहराया परचम, मारवेलस बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज

locationलखनऊPublished: Sep 10, 2018 11:34:51 am

Submitted by:

Mahendra Pratap

5 सितम्बर शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है लेकिन इस दिन का मतलब सिर्फ बच्चों का टीचर्स को विश करना ही नहीं होता है

anju pandey

लखनऊ से न्यूयॉर्क तक लहराया इस शिक्षिका का परचम, मारवेलस बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में नाम दर्ज

करिश्मा लालवानी

लखनऊ. शिक्षक दिवस पर हर कोई अपने टीचर को हैप्पी टीचर्स डे विश करता है। बेशक 5 सितम्बर शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है लेकिन इस दिन का मतलब सिर्फ बच्चों का टीचर्स को विश करना ही नहीं होता है। टीचर्स डे पर हम बात करेंगे लखनऊ के मिलेनियम स्कूल की टीचर अंजू पाण्डे की, जिन्होंने न सिर्फ अपने आसपास रह रहे स्टूडेंट्स को संगीत की तालीम दी बल्कि सात समंदर पार भी अपने टैलेंट का परचम लहराया है। मारवेलस बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज हो चुका है।
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अनूप जलोटा से ली है संगीत की तालीम

अंजू मूल रूप से हिमाचल से हैं लेकिन पिछले काफी सालों से वे लखनऊ में रह रही हैं। उन्होंने संगीत की तालीम भजन सम्राट अनूप जलोटा से ली है। इसके अलावा उनके गुरु मुरलीधर जुगड, अवधेश गोस्वामी और सरला शुक्ला भी रहे हैं। फिलहाल वे लखनऊ के मिलेनियम स्कूल में संगीत टीचर हैं। लेकिन संगीत के प्रति उनका प्रेम सिर्फ स्कूल तक सीमित नहीं है। वे घर पर भी बच्चों को इसकी क्लासेस कराती हैं। खास बात यह है कि इनका सिंगिग टैलेंट सात समंदर पार भी सिर चढ़कर बोलता है। आमतौर पर लोग वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का उपयोग बात करने के लिए, शिक्षा के लिए होता है लेकिन लखनऊ के इंदिरानगर में रहने वाली इस कलाकार ने इसे बेहतर संगीत का माध्यम भी बनाया है। उन्होंने स्काइप के जरिये न्यूयॉर्क के लोगों को संगीत की शिक्षा दी है। संगीत सीखने वाले सभी भारतीय मूल के लोग हैं, जो कि वैष्णव टेम्पल ऑफ न्यूयॉर्क से जुड़े हैं।
उत्तराखंड कोकिला सम्मान मिला है

अंजू का कहना है कि ये संगीत का प्रेम ही था जिसने उन्हें हिमाचल से लखनऊ आने पर मजबूर किया। उन्होंने शास्त्रीय संगीत की शिक्षा ली है और उत्तरायणी मेले में उत्तराखंड कोकिला का सम्मान भी मिल चुका है। अंजू बताती हैं कि उन्हें संगीत हमेशा से पसंद रहा है। हालांकि उनके राहें आसान नहीं थीं। शादी के बाद घर गृहस्थी संभालना और अपने पैशन के बीच बैलेंस बना कर चलना अंजू के लिए कोई आसान नहीं था।
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12 घंटे गाकर तोड़ा अपना ही रिकार्ड

अंजू की कामयाबी के पीछे सिर्फ उनका टैलेंट ही नहीं बल्कि उनके गुरू अनूप जलोटा का भरोसा व कई लोगों का आशीर्वाद भी रहा है। शुरूआती दिनों में उन्हें स्ट्रगल करना पड़ा। आर्थिक तंगी के चलते वे अपनी क्लासेस करने आधे रास्ते पैदल ही जाती थीं। लेकिन अब काले बादल छट गए हैं और किसी तरह की आर्थिक तंगी का सामना नहीं करना पड़ता है। बात अगर अंजू की कामयाबी की करें, तो उन्होंने 12 घंटे तक पहाड़ी गाना गाकर अपना ही रिकार्ड तोड़ा है। इससे पहले उन्होंने 6 घंटों तक पहाड़ी गीत गाया था। उन्हें कई पुरस्कार मिल चुके हैं और मारवेलस बुक ऑफ रिकॉर्ड में उनका नाम भी दर्ज है।

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