दस में तीन पर सपा, सात पर भाजपा का कब्जा
2014 के चुनाव में भाजपा के जीत की हवा पश्चिमी उप्र से ही चली थी। पूर्वांचल तक पहुंचते-पहुंचते यह आंधी में बदल गई थी। तब भाजपा ने अकेले 71 सीटें जीती थीं। पांच साल में काफी कुछ बदल गया है। तब मोदी लहर थी, अब नहीं। हां, मुजफ्फरनगर कांड का तब यहां खूब ध्रुवीकरण हुआ था। अब भी इसका असर कायम है। इस बार के चुनाव में एक नयी चीज जुड़ी है। वह जातीय समीकरण। इस समीकरण की वजह से सपा-बसपा और रालोद गठबंधन को बड़ा फायदा मिल रहा है। 2014 में यहां तीन सीट पर सपा जीती थी और 7 सीट भाजपा के कब्जे में थी। इस बार यहां सभी सीटों पर गठबंधन से भाजपा को कड़ी टक्कर मिल रही है। कांग्रेस भी प्रभावी भूमिका में है। इसलिए तीसरे चरण का चक्रव्यूह भेदना किसी भी दल के लिए आसान नहीं है।
मुसलमान चुप, दलित-पिछड़े गोलबंद
इस बार मुसलमान चुप हैं। सपा-बसपा के परंपरागत वोट बैंक पूरी तरह से गोलबंद हैं। एक बात और। पश्चिमी उप्र लिखा-पढ़ी में भले ही कांग्रेस महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया के जिम्मे है। लेकिन, पूर्वी उप्र की तरह यहां भी प्रियंका गांधी का ही जादू कांग्रेसियों के सिर चढकऱ बोल रहा है। यह प्रियंका का ही करिश्मा है कि तीसरे चरण में भी कम से कम तीन सीटों पर कांग्रेस अच्छी फाइट में है। इसीलिए रामपुर,संभल,मुरादाबाद, बरेली और पीलीभीत सीट पर कांटे की टक्कर दिख रही है। भाजपा ने भले ही राष्ट्रवाद के रथ पर सवार होकर फिर से ध्रुवीकरण की कोशिश की हो लेकिन गठबंधन पूरी ताकत के साथ भाजपा का गणित बिगाडऩे में जुटा है।
सपा की पारिवारिक प्रतिष्ठा दांव पर
तीसरे चरण की दस सीटें सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव का भी इम्तहान लेंगी। फिरोजाबाद में यादव परिवार आपस में ही जूझ रहा है। यहां चाचा-भतीजे में ही जंग है। मैनपुरी सीट पर भाजपा कभी नहीं जीती है। पिछली बार यहां से सपा से तेजप्रताप यादव जीते थे। इस बार मुलायम मैदान में हैं। बदायूं में एक बार फिर सपा सांसद धर्मेँद्र यादव मैदान में हैं। यह तीनों सीटें बचाना अखिलेश के लिए चुनौती होगी।
रामपुर में आजम के लिए बड़ी चुनौती
तीसरे चरण की सबसे चर्चित सीट रामपुर है। यहां से भाजपा उम्मीदवार अभिनेत्री जया प्रदा हैं। उनके मुकाबले में गठबंधन से सपा प्रत्याशी आजम खान हैं।
पीलीभीत में कांग्रेस प्रत्याशी नहीं
पीलीभीत से वरुण गांधी भाजपा उम्मीदवार हैं। यह सुलतानपुर से सांसद हैं। लेकिन इस बार अपनी मां की परंपरागत सीट से लडऩे आए हैं। मैनपुरी, फिरोजाबाद और बदायूं सपा का गढ़
मोदी लहर में भी मैनपुरी, फिरोजाबाद और बदायूं सीट भाजपा नहीं जीत पायी थी। बदायूं आते-आते भाजपा का विजय रथ रुक गया था। इन सीटों पर देश के सबसे राजनीतिक कुनबे मुलायम परिवार का कब्जा था। इस बार भी मैनपुरी से सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव चुनाव लड़ रहे हैं। फिरोजाबाद में मुलायम परिवार में ही जंग है। यहां सपा महासचिव राम गोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव और सपा से अलग होकर नयी पार्टी बनाने वाले शिवपाल यादव आमने-सामने हैं। जबकि बदायूं में मुलायम के भतीजे धर्मेद्र यादव एक बार फिर सपा से ही चुनाव लड़ रहे हैं।
संभल,मुरादाबाद और बरेली में त्रिकोणीय मुकाबला
संभल में इस बार भाजपा को कड़ी चुनौती मिल रही है। भाजपा ने इस बार यहां सांसद सत्यपाल का टिकट काटकर परमेश्वर लाल सैनी को उतारा है। सपा-बसपा और रालोद के उम्मीदवार डॉ. शफीकुर्ररहमान बर्क हैं। बरेली में भी भाजपा,गठबंधन और कांग्रेस में त्रिकोणीय मुकाबला नजर आ रहा है। यहां केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार गठबंधन के भगवत शरन गंगवार से जूझ रहे हैं।
एटा में राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह के बेटे राजबीर सिंह को कड़ी चुनौती मिल रही है। सपा-बसपा गठबंधन प्रत्याशी देवेंद्र यादव ने उन्हें घेर रखा है। आंवला में बसपा से रुचिवीरा मैदान में हैं।
कुल सीटें-13
कुल उम्मीदवार-120
सबसे कम प्रत्याशी-06,फिरोजाबाद
सर्वाधिक उम्मीदवार-16,बरेली
प्रमुख सीटें-मुरादाबाद, रामपुर, संभल, फिरोजाबाद, मैनपुरी, एटा, बदायूं, आंवला, बरेली और पीलीभीत
प्रमुख उम्मीदवार- वरुण गांधी, संतोष गंगवार,सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव, धर्मेंद्र यादव, जयाप्रदा और आजम खान