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ओमप्रकाश को एक और झटका, तीनों विधायक भाजपा में होंगे शामिल, मिलेगा मंत्री पद

locationलखनऊPublished: May 22, 2019 11:22:23 am

-मंत्री पद गंवाया,बंगला छिना अब विधायक भी छोड़ रहे साथ, अकेले रह गए राजभर-राजभर 8 सीटों पर लड़े थे चुनाव, जीती थीं 4 सीटें-ओमप्रकाश को छोड़ बाकी तीनों विधायक अनुसूचित जाति के-योगी मंत्रिमंडल में सुभासपा के विधायकों को मिल सकती है बड़ी कुर्सी

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ओमप्रकाश को एक और झटका, तीनों विधायक भाजपा में होंगे शामिल, मिलेगा मंत्री पद

पत्रिका इन्डेप्थ स्टोरी
लखनऊ. मंत्री पद गंवा दिया। बेटे और विश्वस्त साथियों की भी कुर्सी छिन चली गयी। गनर और बंगला छिन गया। अब पार्टी के तीन विधायक भी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी को अलविदा कहने की तैयारी में हैं। ऐसे में सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर बिल्कुल अकेले पड़ गए हैं। उनकी पार्टी पर भी अस्तित्व का संकट खड़ा हो गया है। सुभासपा के तीन विधायक भाजपा में जाने की तैयारी में हैं। सुभासपा के कुल 4 विधायक जीते थे। ऐसे में तीन विधायकों के पाला बदलने पर उन पर दल बदल विधेयक का कानून भी नहीं लागू होगा।


सुभासपा इस समय सबसे गंभीर संकट से गुजर रही है। दो दिन पहले तक मंत्री रहे ओमप्रकाश राजभर के सामने एकाएक इतनी चुनौतियां आ जाएंगी उन्हें शायद मालूम नहीं था। 24 घंटे के भीतर ही पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री रहे ओमप्रकाश राजभर के गनर,घर में सुरक्षा के लिए तैनात सुरक्षाकर्मी, सरकारी गाडिय़ां छिन गयीं। 24 घंटे बीतते-बीतते उन्हें मंत्री के रूप में आवंटित बंगला खाली करने का नोटिस मिल गया। वह अपना सामान बटोरते इसके पहले उनकी पार्टी के तीन विधायक भी अपना बोरिया बिस्तर समेटने की तैयारी में जुट गए हैं।


आठ सीटों पर लड़े थे 4 जीते थे
2002 में ओमप्रकाश राजभर ने सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी की स्थापना की थी। कभी बहुजन समाज पार्टी से अपने राजनीतिक कॅरियर की शुरुआत करने वाले राजभर की पार्टी एकाएक 2017 में चर्चा में आयी। इस चुनाव में सुभासपा ने भारतीय जनता पार्टी के साथ समझौता करके कुल 8 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में पहली बार ओमप्रकाश राजभर जीते। उनकी पार्टी के तीन और विधायक चुने गए। इनमें ओमप्रकाश गाजीपुर की जहूराबाद सीट, त्रिवेणी राम जखनिया सीट, कैलाशनाथ सोनकर वाराणसी की अजगरा और रामानंद बौद्ध कुशीनगर की रामकोला सीट से विधायक चुने गए थे। राजभर को छोडकऱ बाकी तीनों विधायक अनुसूचित जाति सीट से लड़े और जीते।


एक विधायक तटस्थ,दो मुखर विरोधी
सुभासपा के तीनों विधायकों की राजभर से बहुत पहले से ही नहीं बन रही है। लोकसभा चुनाव में जब ओमप्रकाश ने अकेले चुनाव लडऩे की घोषणा की तब कैलाश नाथ सोनकर और त्रिवेणी राम ने चुप्पी साथ ली। यह दोनों विधायक सुभासपा के किसी कार्यक्रम में नहीं गए। न ही इन्होंने पार्टी प्रत्याशी का चुनाव प्रचार किया। रामानंद बौद्ध तटस्थ रुख अपना लिया। वह कुशीनगर में सक्रिय तो रहे लेकिन खुलकर पार्टी के कार्यक्रमों में भाग नहीं लिया। कैलाश नाथ और त्रिवेणी राम पर तो पिछले साल राज्यसभा के चुनाव में क्रॉस वोटिंग के भी आरोप लगा था। लेकिन इन दोनों विधायकों ने इस आरोप पर न तो कोई जवाब दिया था न ही ओमप्रकाश से कोई बात की थी।


योगी सरकार में मिल सकता है बड़ा पद
माना जा रहा है कि योगी सरकार में सुभासपा के तीनों विधायकों को जल्द ही कोई बड़ा पद दिया जा सकता है। आचार संहिता हटते ही तीनों विधायक सुभासपा से अलग होकर अपना नया दल बनाकर भाजपा में शामिल हो सकते हैं। इसके बदले भाजपा उन्हें सरकार में महत्वपूर्ण पद सौंप सकती है।

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