कुछ समय से ही चर्चा आम है कि सपा के कई एमएलसी भाजपा के संपर्क में हैं। जल्द ही ये एमएलसी इस्तीफा देकर पाला बदल सकते हैं। बीजेपी की इस कोशिश को यूपी की विधान परिषद में पर्याप्त संख्या बल जुटाने की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है। गौरतलब है कि इस समय समाजवादी पार्टी 55 सदस्यों के साथ विधान परिषद में सबसे बड़ा दल है। दूसरे स्थान पर बीजेपी है, जिसके पास 21 एमएलसी हैं। वहीं बसपा के 8 एमएलसी हैं। इनके अलावा कांग्रेस के 2 सदस्य हैं। इनमें भी दिनेश प्रताप सिंह बीजेपी के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं। कांग्रेस ने उनकी सदस्यता रद्द करने के लिए सभापति को याचिका दी है।
वहीं इसस पहले सपा के दो बड़े नेता व अखिलेश यादव के सबसे करीबी नेता भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार संजय सेठ और सुरेंद्र नागर राज्यसभा के लिए निर्विरोध चुन लिए गए हैं। दोनों नेता समाजवादी पार्टी से इस्तीफा देकर हाल ही में भाजपा में शामिल हो गए थे। इन दोनों नेताओं को सोमवार शाम को उनके निर्वाचन का प्रमाणपत्र सौंप दिया गया। संजय सेठ और सुरेंद्र नागर उत्तर प्रदेश से संसद के उच्च सदन राज्यसभा के लिए निर्वाचित किए गए हैं।