भाई दूज पूजा व तिलक का शुभ मुहूर्त
सुबह पूजा का मुहूर्त: 9:20 से 10:35 बजे तक दोपहर में पूजा का मुहूर्त: 1:20 से 3:15 बजे तक संध्या काल में पूजा मुहूर्त: 4:25 से 5:35 बजे तक
सुबह पूजा का मुहूर्त: 9:20 से 10:35 बजे तक दोपहर में पूजा का मुहूर्त: 1:20 से 3:15 बजे तक संध्या काल में पूजा मुहूर्त: 4:25 से 5:35 बजे तक
शाम के समय पूजा मुहूर्त: 7:20 से रात 8:40 बजे तक
कहा जाता है कि यम और यमुना सूर्यदेव की संतान हैं। यमुना समस्त कष्टों का निवारण करनेवाली देवी स्वरूपा हैं। उनके भाई मृत्यु के देवता यमराज हैं। यम द्वितीया के दिन यमुना नदी में स्नान करने और वहीं यमुना और यमराज की पूजा करने का बहुत महत्व है। इस दिन बहन अपने भाई को तिलक लगाकर उसकी लंबी उम्र के लिए हाथ जोड़कर यमराज से प्रार्थना करती है। स्कंद पुराण में लिखा है कि इस दिन यमराज पूजन करनेवालों को मनोवांछित फल मिलता है। धन-धान्य, यश एवं दीर्घायु की प्राप्ति होती है।
कहा जाता है कि यम और यमुना सूर्यदेव की संतान हैं। यमुना समस्त कष्टों का निवारण करनेवाली देवी स्वरूपा हैं। उनके भाई मृत्यु के देवता यमराज हैं। यम द्वितीया के दिन यमुना नदी में स्नान करने और वहीं यमुना और यमराज की पूजा करने का बहुत महत्व है। इस दिन बहन अपने भाई को तिलक लगाकर उसकी लंबी उम्र के लिए हाथ जोड़कर यमराज से प्रार्थना करती है। स्कंद पुराण में लिखा है कि इस दिन यमराज पूजन करनेवालों को मनोवांछित फल मिलता है। धन-धान्य, यश एवं दीर्घायु की प्राप्ति होती है।
चित्रगुप्त पूजा दीपावली के बाद भैया दूज के दिन चित्रगुप्त की पूजा के साथ-साथ लेखनी तथा पुस्तकों की भी पूजा की जाती है। कायस्थों के यहां ये पूजा होती है। इस पूजा के दौरान चित्रगुप्त जी का फोटो स्थापित करके, पूजा पाठ करना चाहिए। अगर आपके पास उनका फोटो उपलब्ध न हो तो कलश को प्रतीक मान कर चित्रगुप्त जी को स्थापित करें। भगवान चित्रगुप्त को अदरक और गुड़ सबसे ज्यादा प्रिय था इसलिए प्रसाद के रूप में ये चढ़ाया जाता है। शास्त्रों में कहा गया है कि भीष्म पितामह ने भी भगवान चित्रगुप्त की पूजा की थी। उनकी पूजा से खुश होकर पितामह को अमर होने का वरदान दिया था। मान्यता है कि उनकी पूजा करने से गरीबी और अशिक्षा दूर होती है। भगवान चित्रगुप्त की पूजा को शुभ समय दोपहर 12 बजे के आस-पास है।