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कुनबे में सुलह की कोशिश, मोर्चे पर मुलायम….

locationलखनऊPublished: Oct 04, 2017 05:48:34 pm

सैफई का कुनबा पुराने जम भूलकर एक बार फिर एकजुट होकर राजनीति करने की तैयारी में है।

mulayam singh

लखनऊ. सैफई का कुनबा पुराने जम भूलकर एक बार फिर एकजुट होकर राजनीति करने के लिए तैयार है। परिवार में सुलह का रास्ता खुद पार्टी के संस्थापक और परिवार के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने तैयार किया है। फिलहाल समझौते की फांस सपा के सुल्तान के दो चाचाओं के बीच उलझी है। शिवपाल सिंह खुद को राष्ट्रीय राजनीति में स्थापित करने के लिए रजामंद हैं, लेकिन उनके चचेरे भाई और प्रतिद्वंद्वी रामगोपाल यादव को परहेज है। फिलहाल मुलायम ने बतौर पार्टी संरक्षक राष्ट्रीय अधिवेशन में शामिल होने का इरादा जता दिया है। उम्मीद है कि बड़े भाई के आदेश पर शिवपाल सिंह भी आगरा पहुंचेंगे। शिवपाल से चर्चा के बाद अखिलेश यादव दोपहर में आगरा पहुंच गए हैं, जहां राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक में पार्टी संविधान बदलने और पार्टी संस्थापक मुलायम सिंह को ससम्मान समायोजित करने का विकल्प खोजा जाएगा।

मंगलवार की रात हुई कुनबे की चर्चा

सूत्रों के मुताबिक, एक सप्ताह पहले मुलायम सिंह यादव ने परिवार के लोगों को दो टूक कह दिया कि यह आखिरी कोशिश है। अब बात नहीं बनेगी तो वह राजनीति और परिवार से दूरी बना लेंगे। मुलायम सिंह की इस वेदना को डिंपल ने महसूस किया और उन्होंने अखिलेश को पिता के सामने झुकने के लिए राजी किया था। इसी के बाद बीते सप्ताह सपा के सुल्तान राष्ट्रीय अधिवेशन का न्योता देने लखनऊ में पिता के सरकारी निवास पर पहुंचे। पिता-पुत्र में पार्टी का वजूद बचाने पर चर्चा हुई और मुलायम ने समझौते का फार्मूला सुझाया, जिसे अखिलेश ने स्वीकार कर लिया। इसी के बाद मुलायम सिंह ने परिवार को एकजुट करने का प्रयास शुरू कर दिया। मंगलवार की रात उन्होंने छोटे भाई शिवपाल यादव तथा परिवार के अन्य राजनीतिक सदस्यों के साथ टेलीफोनिक चर्चा करते हुए आदेश सुना दिया कि अब कोई किसी के खिलाफ नहीं बोलेगा।

बधाई संदेश के साथ रिश्तों से बर्फ पिघली

बुधवार की सुबह शिवपाल ने मंगलवार की रात जारी आदेश पर अमल करते हुए अखिलेश यादव को फोन पर राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने जाने की अग्रिम बधाई देते हुए पांच मिनट संवाद किया। अखिलेश ने अपने चाचा को राष्ट्रीय अधिवेशन में आने का न्योता दिया, लेकिन शिवपाल ने रजामंदी का स्पष्ट जवाब नहीं दिया। इसके बाद अखिलेश और मुलायम सिंह की बात हुई और अखिलेश आगरा अधिवेशन के लिए निकल गए। अखिलेश से बात होने के बाद मुलायम ने शिवपाल सिंह को अपने बंगले पर बुलाकर समझाया। सूत्रों के मुताबिक, मुलायम ने खुद के राष्ट्रीय अधिवेशन में जाने का इरादा जताकर शिवपाल से भी आगरा पहुंचने को कहा।

समझौते में शिवपाल को महासचिव का पद मिलेगा

मुलायम के फार्मूले के मुताबिक, अखिलेश चाहे तो उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद सौंपकर स्वयं कार्यकारी अध्यक्ष बन सकते हैं। अहम फैसलों के लिए कार्यकारी अध्यक्ष को जिम्मेदारी देने के लिए पार्टी संविधान को बदलने का सुझाव भी है। मुलायम ने यह भी सुझाव दिया है कि वह कोई पद नहीं चाहते हैं, लेकिन शिवपाल को राष्ट्रीय राजनीति में समायोजित करते हुए महासचिव का पद दिया जाना चाहिए। पिता के इस फार्मूले से अखिलेश सहमत हैं। यूपी की राजनीति में शिवपाल का दखल खत्म होने से अखिलेश को राहत ही मिलेगी, लेकिन रामगोपाल यादव को यह प्रस्ताव मंजूर नहीं है।

रामगोपाल संसद देखेंगे, शिवपाल करेंगे विस्तार

बहरहाल, समझौते के अंतिम फार्मूले के अनुसार, रामगोपाल और शिवपाल यादव राष्ट्रीय महासचिव की भूमिका में रहेंगे। रामगोपाल यादव पर संसदीय कार्यों की जिम्मेदारी रहेगी, जबकि शिवपाल सिंह यादव को पार्टी के विस्तार के लिए काम करना होगा। इस फार्मूले पर चर्चा करते हुए मुलायम के पोते और इटावा के जिला पंचायत अध्यक्ष अंशुल यादव ने कहाकि अब परिवार एक है। नेताजी ने सभी के बीच गलत फहमी को दूर कर दिया है। कुछ मसले शेष हैं तो उन्हें राष्ट्रीय अधिवेशन के बाद सुलझा लिया जाएगा।

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