भगवान राम और श्रीकृष्ण ने भी लगाया था तुलसी का पौधा मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए आयुर्वेद में तुलसी के पौधे को वरदान के रूप में बताया गया है। शास्त्रों के अनुसार यह भी कहा जाता है कि घर पर कोई संकट आने वाला है, तो सबसे पहले उस घर से तुलसी चली जाती है और वहां दरिद्रता का वास होने लगता है। पौराणिक मान्यता है कि भगवान श्रीराम ने गोमती तट पर और वृंदावन में भगवान श्रीकृष्ण ने तुलसी लगाई थी।
अशोक वाटिका में सीताजी ने की थी तुलसी की पूजा अशोक वाटिका में सीताजी ने रामजी की प्राप्ति के लिए तुलसीजी का मानस पूजन ध्यान किया था। हिमालय पर्वत पर पार्वतीजी ने शंकर जी की प्राप्ति के लिए तुलसी का वृक्ष लगाया था। एक मान्यता यह भी है कि लंकापति नरेश रावण के भाई विभीषण भी रोजाना तुलसी की पूजा करते थे। यही कारण था कि उनके महल में भी तुलसी का पौधा था। जब लंका दहन के समय हनुमान जी ने ये पौधा विभीषण के महल में देखा तो उन्होंने सिर्फ इस एक जगह को छोड़कर पूरी लंका में आग लगा दी थी।
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तुलसी के पौधे के पास पूजा करने से मिलता है कई गुना अधिक फल समुद्र मंथन में हुई थी तुलसी की उत्पति धार्मिक कथाओं के अनुसार कहा जाता है कि देव और दानवों द्वारा किए गए समुद्र मंथन के समय जो अमृत धरती पर मिला, उसी के प्रभाव से ही तुलसी की उत्पत्ति हुई। तुलसी मुख्यता तीन प्रकार की होती हैं- कृष्ण तुलसी, सफेद तुलसी तथा राम तुलसी जिसमें से कृष्ण तुलसी सर्वप्रिय मानी जाती है।
घर के दक्षिण भाग में नहीं लगाना चाहिए तुलसी का पौधा तुलसी का पौधा घर के दक्षिणी भाग में नहीं लगाना चाहिए, घर के दक्षिणी भाग में लगा हुआ तुलसी का पौधा फायदे की जगह नुकसान पहुंचा सकता है। तुलसी को घर की उत्तर दिशा में लगाना चाहिए। ये तुलसी के लिए शुभ दिशा मानी गई है, अगर उत्तर दिशा में तुलसी का पौधा लगाना संभव न हो तो पूर्व दिशा में भी तुलसी को लगा सकते हैं। रोज सुबह तुलसी को जल चढ़ाएं और सूर्यास्त के बाद तुलसी के पास दीपक जलाना चाहिए।