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जब लखनऊ के आसमान पर मंडराई थी उड़नतश्तरी!

locationलखनऊPublished: Jul 04, 2020 06:40:21 pm

Submitted by:

Hariom Dwivedi

– 02 जून को प्रतिवर्ष मनाया जाता है UFO Day- 21 जुलाई 2014 को लखनऊ के आसमान में दिखी थी उड़नतश्तरी

जब लखनऊ के आसमान पर मंडराई थी उड़नतश्तरी!

दशकों से वैज्ञानिकों के बीच उड़नतश्तरी बहस का विषय है जिसमें कुछ पक्ष में हैं तो कुछ खारिज करते हैं

लखनऊ. आज वर्ल्ड यूएफओ डे (UFO Day) है। यानी अनआईडेंटिफाइड फ्लाइंग ऑब्जेक्ट डे। ऐसी अदृश्य चीज जिसे हम कौतुहल वश आसमान में देखते तो हैं लेकिन, दावे के साथ नहीं कह सकते कि देखी गयी चीज सच थी। ऐसी ही एक घटना 21 जुलाई 2014 को लखनऊ के आसमान में भी घटित हुई। जिसे उडऩ तस्तरी कहा गया। लखनऊ में दिखी इस उडऩ तस्तरी को तब खगोलविदों ने प्रथमदृष्टया यूएफओ (Unidentified Flying Object) ही माना था। लेकिन 6 साल बीत गए। आज तक सरकारी तौर पर इसकी कोई रिपोर्ट नहीं आई। आखिर यह रहस्यमयी चीज क्या थी। इसी तरह का एक मामला कानपुर में भी देखने को आया था। यहां भी उडऩतश्तरी जैसी वस्तु देखे जाने की घटना का जिक्र स्थानीय नागरिकों ने किया था। यूएफओ यानी उडऩे वाली वह वस्तु जिसकी पहचान न हो सके। पश्चिमी देशों में इसे दूसरे ग्रह से आई उडऩतश्तरी कहते हैं। दशकों से वैज्ञानिकों के बीच यह बहस का विषय है जिसमें कुछ पक्ष में हैं तो कुछ खारिज करते हैं।
लखनऊ के राजाजीपुरम ई ब्लॉक सेक्टर 11 निवासी अमित त्रिपाठी ने 21 जुलाई 2014 की शाम 7.44 बजे एक अजीब रोशनी वाला गोला आसमान में देखा था। अमित तब अपनी बालकनी में बैठे डूबते सूरज की तसवीर खींच रहे थे। इसी बीच उन्हें सूरज के बगल में एक रोशनी का गोला दिखाई पड़ा। देखते ही देखते वह गोला तेजी से आड़ा तिरछा आसमान में घूमने लगा। करीब 40 सेकंड में वह गोला तेजी से ऊपर उठा और गायब हो गया। इसकी तस्वीर अमित ने खींच ली थी। तब अमित त्रिपाठी ने बताया था कि शाम को बारिश हुई थी। 6.44 का टाइम था। सनसेट बढिय़ा दिख रहा था। तभी एक गोल ऊपर आया और राइट-लेफ्ट होने लगा। मैंने सोचा कि वीडियो ऑन करूं, लेकिन हो नहीं पाया। मैंने चार-पांच फोटो खींची। बहरहाल, खगोलविदों ने रोशनी के इस गोले को यूएफओ ही बताया था। लेकिन, यह आज तक रहस्य ही है कि वह आग का गोला क्या था। इसके पहले लखनऊ के ही एक शख्स ने 5 जुलाई 2014 को उडऩ तस्तरी देखे जाने की तस्वीर लेते हुए वैज्ञानिकों को इसकी जानकारी दी थी। इसी साल 14 जुलाई को आगरा के टूंडला में भी यूएफओ देखे जाने का दावा किया गया था। तब वैज्ञानिकों ने प्रथम दृष्टया इसकी पुष्टि की थी। पश्चिमी यूपी के शामली में भी इसी साल जुलाई माह में कुछ खगोलविदों ने यूएफओ देखे जाने की बात बताई थी। कानपुर के श्याम नगर निवासी श्याम गुप्ता के बेटे अभिजीत ने भी 26 जून 2015 को देखा था। हालांकि, इन घटनाओं के बाद यूपी में फिर से यूएफओ देखने की कोई घटना सामने नहीं आयी।
आईए जानते हैं आखिर क्यों दिखती है उड़नतश्तरी
लखनऊ स्थित इंदिरा गांधी नक्षत्रशाला के वैज्ञानिकों की मानें तो जुलाई अगस्त के मौसम में पृथ्वी उल्का पिंडों के नजदीक से निकलती है तब आसमान में टूटते तारे जैसे दिखते हैं। लेकिन यह लगातार बने रोशनी के गोले जैसे नहीं होते। हो सकता है इन तारों के भ्रम में ही लोग उडऩतश्तरी समझ बैठते हों। इसके अलावा कई बार कैमरे के लैंस में रोशनी का घेरा आ जाता है। लेकिन यह कभी-कभी होता है।
1940 में मिला था उडऩ तश्तरी का नाम
पूरी दुनिया में उडऩ तश्तरियां रहस्य का विषय रही हैं। आकाश में उड़ती किसी अज्ञात वस्तु यानी अनआईडेंटिफाइड फ्लाइंग ऑब्जेक्ट दिखने में तस्तरी नुमा होता है इसलिए इसे उडऩतश्तरी कहा जाता है। यह नाम 1940 के दशक में दिया गया। हालांकि उडऩतश्तरियों को पूरी दुनिया में आधिकारिक रूप से मान्यता नहीं दी गयी है। माना जाता है कि इन उड़ती तश्तरियों का संबंध दूसरी दुनिया से है। क्योंकि इनक संचालन की क्षमता असाधारण होती है। वैज्ञानिक इसे आसमान में काफी उचांई पर बनने वाला चक्रवात मानते हैं। जो विद्युतीय तंरगों के आपस में टकराने से बनता है।

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