विभागों को इकाई मानकर आरक्षण लागू किया जाए
बताया जा रहा है कि यूपी के विश्वविद्यालयों में 2006 से आरक्षण का रोस्टर लागू है। इसमें विश्वविद्यालय को इकाई मानकर ओबीसी और एससी-एसटी के लिए आरक्षण लागू किया जाता है। इस प्रक्रिया में कभी-कभी कुछ विभागों के सभी पद आरक्षित हो जाते थे। बीएचयू के अभ्यर्थी विवेकानंद तिवारी की याचिका पर पिछले साल 7 अप्रैल को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इसे रद कर दिया और कहा कि विभागों को इकाई मानकर आरक्षण लागू किया जाए।
शिक्षक के पदों की रिक्तियों पर रोक
जावड़ेकर ने बताया है कि यूजीसी और केंद्र सरकार ने इस आदेश के खिलाफ अलग-अलग विशेष अनुमति के लिए याचिका दायर की हैं और इस मामले की अगली सुनवाई की 13 अगस्त को होगी। जावड़ेकर ने कहा कि उनके मंत्रालय ने विशेष अनुमति याचिका पर निर्णय लंबित रहने तक विश्वविद्यालयों-कॉलेजों में शिक्षक के पदों की रिक्तियों को भरने पर फिर से रोक लगा दी है।
यह मुद्दा उठाते हुए रामगोपाल यादव ने कहा था यह
बताया जा रहा है कि इससे पहले समाजवादी पार्टी के सांसद रामगोपाल यादव ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि यूजीसी ने पांच मार्च को आरक्षण के लिए 13 सूत्री आरक्षण रोस्टर जारी किया था। इसमें विश्वविद्यालय-कॉलेज के बजाय विभाग को आरक्षण सूची बनाने की बात कही गई थी। जब उन्होंने यूजीसी आदेश को निष्प्रभावी करने की बात कही तो उनकी इस मांग को लेकर नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने उनका पूरा समर्थन किया था।
दो-तिहाई पद अनारक्षित वर्ग को चले गए
इसके बाद से यूपी में कमोबेश सभी केंद्रीय व राज्य विवि में शिक्षकों की भर्ती शुरू हो गई। गोरखपुर सहित कुछ विश्वविद्यालयों जब भर्ती के लिफाफे खुले तो उसमें दो-तिहाई पद अनारक्षित वर्ग को चले गए। इस पर हंगामा मच गया। संसद में सवाल उठने के बाद सभी भर्तियां रोक दी गई हैं।