2017 में उत्तर प्रदेश पुलिस ने बताया था कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार के छह महीनों में 420 एनकाउंटर हुए, जिसमें 15 लोग मारे गए थे। 2018 तक यूपी पुलिस ने 1,038 एनकाउंटर किए थे, जिसमें 32 लोग मारे गए थे। वहीं उत्तर प्रदेश में एनकाउंटर में मारे गए 14 परिवारों ने पुलिस की कहानी को झुठलाते हुए सभी एनकाउंटर को नियोजित हत्या बताया था।
छह महीने पहले ओएचसीएसआर ने मणिपुर में कथित फज़ऱ्ी एनकाउंटर को लेकर भारत सरकार को पत्र लिखा था। मणिपुर मामले में सुप्रीम कोर्ट के समय सीमा के निर्देश के बावजूद भी जांच पूरी नहीं हुई। उस समय मानवाधिकार संगठन ने कहा था, ‘हम बेहद चिंतित हैं कि विलंब जानबूझकर और अनुचित मालूम पड़ता है। हम मामले में सरकार के रवैये की निंदा करते हैं।
इसी महीने में सुप्रीम कोर्ट में एक मामला सामने आ सकता है, जिसमें यूपी एनकाउंटर हत्याओं की कोर्ट की निगरानी में जांच की मांग की जाएगी।
ओएचसीएसआर का कहना है कि सबूतों के और मामलों के स्वरूप के अनुसार ये सभी मामले हिरासत में हत्या के मालूम पड़ते हैं। पुलिस अक्सर इन मामलों में मौत का कारण मुठभेड़ (एनकाउंटर) या आत्मरक्षा बताती है।
सुप्रीम कोर्ट ने कई मामलों में भारतीय सुरक्षा बलों के मानवीय आचरण और सुरक्षा बलों द्वारा नागरिकों की हत्या की जांच के आदेश दिए हैं। ओएचसीएचआर के विशेषज्ञ ‘पीपल्स यूनियन ऑफ सिविल लिबर्टीज बनाम स्टेट ऑफ महाराष्ट्रÓ (2014) मामले का हवाला देते हुए कहते हैं कि भारत सरकार इस मामले में निर्धारित दिशा निर्देशों का पालन नहीं कर रही है कि कैसे जांच की जाए।
विशेषज्ञों का कहना है कि पुलिस पीडि़तों की हत्याओं से पहले उन्हें रिहा करने के लिए परिजनों से पैसे की मांग करती है, ऐसी जानकारी उन्हें प्राप्त हुई है। वे इस बात से भी चिंतित हैं कि परिवार के सदस्यों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को परेशान किया जा रहा है और उन्हें धमकी दी जा रही है। यहां तक कि मौत की धमकी और झूठे मामलों में फंसाने की संभावना का डर दिखाया जा रहा है।
संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों का कहना है कि इन एनकाउंटर में हुए हत्याओं की तत्काल समीक्षा करने की आवश्यकता है ताकि यह पता चल सके कि वे अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप हैं। इन मौतों की त्वरित स्वतंत्र एजेंसी द्वारा जांच की जानी चाहिए ताकि इन मामलों में कारवाई की जाए।
उन्होंने परिवार और मानवाधिकारों के लिए काम करने वाले लोगों की सुरक्षा का भी ध्यान रखने को कहा है।
ओएचसीएचआर अधिकारी सरकार और पुलिस अधिकारियों द्वारा दिए गए बयानों से भी चिंतित हैं, जो हत्याओं को सही ठहराने, उचित ठहराने या मंजूरी देने के लिए स्पष्टीकरण देते हैं।
योगी सरकार ने केवल 10 महीने में योगी सरकार 921 से ज्यादा एनकाउंटर करके 2000 से अधिक अपराधियों को सलाखों के पीछे पहुंचा दिया, तो 31 को मार गिराया। नए साल के बीते 10 दिनों में हुए 13 एनकाउंटर में 3 बदमाश मारे गए, जबकि 15 को गिरफ्तार कर लिया गया।
यूपी पुलिस द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, नए साल में 10 जनवरी तक पुलिस और बदमाशों के बीच करीब 13 बार एनकाउंटर हुआ है। इसमें 3 बदमाशों को ढेर करने के साथ ही 15 बदमाशो को पुलिस ने सलाखों के पीछे पहुंचा दिया।
पुलिस के मुताबिक, बीते 10 महीने में पुलिस और बदमाशों के बीच करीब 908 मुठभेड़ हुए, जिनमें सर्वाधिक 358 एनकाउंटर अकेले मेरठ जिले में हुए. आगरा में 175 एनकाउंटर हुए और वह इस मामले में दूसरे स्थान पर रहा, जबकि बरेली में 149 एनकाउंटर हुए।