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लखनऊ

इन भारतीय महिला पहलवानों की जिंदगी के बारे में जानकर रह जाएंगे हैरान

भारतीय महिला पहलवान ऑस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट शहर में होने वाले राष्ट्रमंडल खेलों में भाग लेने के लिए रवाना हुई।

लखनऊApr 04, 2018 / 12:21 pm

आकांक्षा सिंह

lucknow

लखनऊ. राजधानी के साईं सेंटर में तैयारी के लिए जुटी भारतीय महिला पहलवान ऑस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट शहर में होने वाले राष्ट्रमंडल खेलों में भाग लेने के लिए रवाना हुई। इनमें विनेश फोगाट, बबिता फोगाट, पूजा ढांडा, साक्षी मालिक, दिव्या काकरन शामिल हैं। इन पहलवानों को सरोजनी नगर के साईं सेंटर से शुभकामनाओं सहित रवाना किया गया। आइये जानते हैं इन महिला पहलवानों के बारे में…

विनेश फोगाट

विनेश फौगाट महिला कुश्ती में 2014 राष्ट्रमण्डल खेल की स्वर्ण पदक विजेता हैं। इन्होंने 2014 एशियाई खेलों में कांस्य पदक जीता। इन्होंने 2016 ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व किया। चोटिल हो जाने के कारण उन्हें मुकाबला बीच में ही छोड़कर बाहर होना पड़ा।

बबीता फौगाट

बबीता फोगाट हरियाणा के भिवानी जिले में रहने वाली 24 वर्षीय भारतीय महिला पहलवान हैं। स्काटलैंड के ग्लास्गो में आयोजित कामनवेल्थ गेम्स 2014 में भारतीय महिला पहलवान बबीता कुमारी ने 55 किलोग्राम भार वर्ग में फ्रीस्टाइल कुश्ती में कनाडा की महिला पहलवान ब्रितानी लाबेरदूरे पहलवान को हराकर भारत के लिए स्वर्ण पदक जीता। बबिता फोगाट के परिवार में उनके माता पिता, तीन बहनें और एक भाई है। पिता का नाम महावीर फोगाट है। इनके पिता मान सिंह भी पहलवानी कर चुके हैं। बबिता फोगाट के माता का नाम शोभा कौर है। वह घरेलू महिला है। बबीता फोगाट को भारत सरकार की तरफ से अर्जुन पुरस्कार भी प्राप्त हो चुका है। डेव स्चुल्त्ज मेमोरियल टूर्नामेंट 2010 में छठा स्थान प्राप्त किया है। इसी टूर्नामेंट के 2012 में उन्होंने ब्रोंज जीता फिर 2014 में सिल्वर भी जीतने में कामयाब रही। 2010 में महिलाओं के लिए फ्री स्टाइल कुश्ती में 51 किलोग्राम भारवर्ग में सिल्वर जीता।

साक्षी मलिक

ये एक भारतीय महिला पहलवान हैं। इन्होंने ब्राजील के रियो डि जेनेरियो में हुए 2016 ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक में कांस्य पदक जीता है। भारत के लिए ओलंपिक पदक जीतने वाली वे पहली महिला पहलवान हैं। इससे पहले इन्होंने ग्लासगो में आयोजित 2014 के राष्ट्रमण्डल खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए रजत पदक जीता था। 2014 के विश्व कुश्ती प्रतियोगिता में भी इन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व किया। 2016 ओलम्पिक में साक्षी ने रेपचेज़ प्रणाली के तहत काँस्य पदक हासिल किया। इस मुकाबले में वे एक समय में 5-0 से पीछे चल रहीं थी किंतु शानदार वापसी करते हुए अंत में 7-5 से मुकाबला अपने नाम कर लिया। आखरी कुछ सेकंड में जो दो विजयी अंक उन्होंने जीते उसे प्रतिद्वंद्वी पक्ष द्वारा चैलेंज किया गया, लेकिन निर्णायकों ने अपना फैसला बरकरार रखा और असफल चैलेंज का एक और अंक साक्षी के खाते में जुड़ा जिसे अंतिम स्कोर ८-५ हो गया। २०१६ के ओलंपिक में भारत का यह पहला पदक था।

पूजा डिंडा

पूजा डिंडा का जन्म 1 जनवरी 1994 में हुआ। ये हिसार हरियाणा की रहने वाली है। इनकी लंबाई ल 162 सेंटीमीटर (5 फीट 4 इंच) है। यह भारत की ओऱ से रेसलिंग खेलती हैं। इनका रेसलिंग का स्टाइल फ्री रेसलिंग है। पूजा डंडा एक भारतीय रेसलर है। उन्होंने 2010 में सिंगापुर में होने वाले समर ओलंपिक में भाग लिया था। इन्होंने महिला फ्रीस्टाइल (7 किलोग्राम) इवेंट में सिल्वर मेडल जीता था।

दिव्या सेन काकरन

दिव्या सेन काकरन भारत की उभरती महिला पहलवान हैं। दिव्या ने कुश्ती के दांव पेच की शुरुआत प्रेमनाथ अखाड़े से की थी। भारत के जंगल में दंगल गीता फोगाट को चित कर दिया था। दिव्या ने 68 किलो भार वर्ग में उत्तर प्रदेश की तरफ से प्रतिनिधित्व करते हुए पहले 26 के स्कोर से राउड को अपने नाम किया और दूसरे राउंड में भी जीत कर अपने नाम किया। उनके कोच विक्रम कुमार संगीत और कामिनी यादव ने दिव्या की जीत पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि यह शुरुआत है दिव्या को अभी भारत के लिए ओलंपिक में गोल्ड लाना है। इनकी मां लंगोट सिलती है। पिता दंगल में जाकर रहने पहलवानों को बेचते हैं तो बिटिया नेट पर पहलवानों को पटक देती है। इन तीनों की तिकड़ी कई सालों से इसी तरह से घर चला रहे हैं। राष्ट्रीय स्तर पर 15 और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 5 पदक जीतने के बावजूद महिला पहलवान की परिवार की स्थिति नहीं बदली। दिव्या पिछले 2 साल से नौकरी के लिए रेलवे कहते हैं कि पिछले 2 साल से रेलवे के पास फाइल पड़ी हुई है लेकिन कुछ नहीं हुआ मूल रूप से उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के गांव के सूरजपुर जिला के गोरखपुर में किराए के मकान में 3 बच्चे और पत्नी संयोगिता के साथ रहते हैं।

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