बुद्ध सर्किट का बुरा हाल
केंद्र सरकार ने 1985 में बुद्ध सर्किट योजना शुरू की थी। पर्यटन मंत्रालय के अधीन चल रही इस योजना का बहुत बुरा हाल है। पर्यटन मंत्रालय ने वित्तीय वर्ष 2018-19 में बौद्ध परिपथ के विकास के लिए महज 0.01 करोड़ रुपये की नाममात्र की राशि आवंटित की थी। यानी सिर्फ एक लाख रुपए। वह भी तब जब पर्यटन मंत्रालय का सालाना बजट 2150 करोड़ रुपये का था। इसमें 1100 करोड़ रुपये स्वदेश दर्शन योजना और 150 करोड़ रुपये प्रसाद योजना के लिए दिए गए थे। मलेशिया,श्रीलंका, थाईलैंड,कोरिया और चीन से हर साल लाखों पर्यटक भगवान बुद्ध से जुड़ स्थलों को देखने के लिए आते हैं। ऐसे में सांकेतिक राशि का आवंटन बौद्ध सर्किट के विकास के लिए अव्यवहारिक था। लेकिन, भारतीय संस्कृति और धर्म की दुहाई देने वाले ठेकेदारों ने इस पर आवाज नहीं उठायी।
जापान ने भी खींच लिए हाथ
भारत से ज्यादा जापान और कोरिया जैसे देशों को भगवान बुद्ध से जुड़े स्थलों की ज्यादा चिंता है। 1985 में जब बुद्ध सर्किट के विकास की नींव रखी गयी तब भी इसके कार्यान्वयन में भारी कमी रही। 2005 में केंद्र सरकार ने जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी (जीका) के साथ 396 करोड़ रुपये का समझौता किया था। लेकिन 2012 में जीका ने जब परियोजना स्थलों की जमीनी सच्चाई देखी तब उसने परियोजना को जारी रख पाने में असमर्थता जता दी थी।
361.97 करोड़ में से 72.4 करोड़ जारी हुए
2014-15 में स्वदेश दर्शन योजना के तहत उत्तर प्रदेश और अन्य प्रदेशों में भगवान बुद्ध से जुड़े स्थलों को जोडऩे वाले बौद्ध सर्किट के विकास के लिए 2016-18 के लिए 361.97 करोड़ रुपये स्वीकृत हुए थे। लेकिन इनमें से केवल 72.4 करोड़ रुपये ही जारी किये गए। उत्तर प्रदेश सरकार ने भी गौतम बुद्ध से जुड़े स्थलों के विकास के लिए एक पैसे खर्च नहीं किया।
इन स्थानों को जोडऩा था
बौद्ध सर्किट के तहत उत्तर प्रदेश में श्रावस्ती, कुशीनगर एवं कपिलवस्तु, बिहार में बोधगया और राजगीर, मध्य प्रदेश में सांची, सतना, रीवा, मंदसौर और धार, गुजरात में जूनागढ़, गिर, सोमनाथ, भरूच, कच्छ, भावनगर, राजकोट, मेहसाणा तथा आंध्र प्रदेश में शालिहुंडम, थोटनाकोंडा, बाविकोंडा, बोजनाकोंडा और अमरावती को परिपथ के माध्यम से विभिन्न मार्गों से जोड़ते हुए इन स्थलों को पर्यटन सुविधाओं को बढ़ावा देना था।
यूपी से जुड़े स्थल उपेक्षित
गौतम बुद्ध का जन्म बैशाख की पूर्णिमा को ईसा से 563 साल पहले गोरखपुर के पास नेपाल के लुंबनी में हुआ था। बोधगया,बिहार में उन्हें ज्ञान प्राप्त हुआ। वाराणसी के सारनाथ में उन्होंने अपना पहला उपदेश दिया था। देवरिया के कुशीनगर में बुद्ध को परिनिर्वाण यानी मोक्ष प्राप्त हुआ। श्रावस्ती में बुद्ध ने लंबा समय बिताया। यहां उनके कई चमत्कार हुए। इसी तरह नालंदा,बिहार में जीवन ज्ञान की शिक्षाएं दीं थीं। लेकिन यह सभी स्थल और यहां पहुंचने के मार्ग बदहाल हैं।