एंबुलेंस कर्मचारी यूनियन के नेता सुनील सचान ने कहा कि हम नहीं चाहते हैं कि आम आदमी के जीवन पर संकट आये। इसीलिए इमरेजंसी एंबुलेंस सेवा चालू रखी है। लखनऊ में ही 11 इमरजेंसी एंबुलेंस ड्यूटी पर लगाई गई हैं। उन्होंने कहा कि हम शौक में नहीं बल्कि मजबूरी में हड़ताल कर रहे हैं। एएलएस का ठेका जिस कंपनी को मिला है, वह हमें नौकरियों से निकाल रहे हैं। ऐसे में हमारे पास हड़ताल के सिवा कोई रास्ता नहीं बचा है। कहा कि हमें नौकरी की गारंटी दी जाए तो हम काम को तैयार हैं। सुनील सचान ने कहा कि यहां हम 10 साल से नौकरी कर रहे हैं। बदले में सिर्फ 13 हजार रुपए मिलते हैं, जिस पर भी हम काम करने को तैयार हैं। कोरोना काल में हमने जी-जान से लोगों की सेवा की, जिसके लिए हमें योद्धा कहा गया, लेकिन अब नई कंपनी हमें निकाल रही है।
यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कहा कि एम्बुलेंस चालकों का न तो नियमतीकरण हो रहा है और न ही उन्हें वेतन मिल रहा है। ऐसी में इनके परिवार की जीविका कैसे चलेगी? भाजपा सरकार समस्या का समाधान करने के बजाय इन्हें धमका रही है। एम्बुलेंस सेवाओं को अगर समय से नहीं शुरू किया गया तो अनेक गंभीर मरीजों की जान पर बन सकती है, जिसकी जिम्मेदारी किसकी होगी?