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मंत्रिमंडल विस्तार के साथ भाजपा ने खेला मास्टर स्ट्रोक

locationलखनऊPublished: Sep 27, 2021 10:19:19 pm

Submitted by:

Pragati Tiwari

2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले हुए विस्तार में ब्राम्हण, पिछड़ा, दलित वर्ग को प्रतिनिधित्व देकर सामाजिक समीकरण को साधा गया है।

मंत्रिमंडल विस्तार के साथ भाजपा ने खेला मास्टर स्ट्रोक

मंत्रिमंडल विस्तार के साथ भाजपा ने खेला मास्टर स्ट्रोक

लखनऊ| Uttar Pradesh Assembly elections 2022 यूपी में होने वाले विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मंत्री मंडल विस्तार करके भाजपा सरकार ने एक बड़ा मास्टर स्ट्रोक खेलने का प्रयास किया है। क्योंकि भाजपा ने जिन चेहरों को आगे लाकर मंत्री बनाया है। उन जातियों की यूपी में ठीक-ठाक बहुलता है। मंत्रिमंडल में एक कैबिनेट मंत्री और छह राज्य मंत्रियों के रूप में सात नए चेहरों को जगह मिली है। 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले हुए विस्तार में ब्राम्हण, पिछड़ा, दलित वर्ग को प्रतिनिधित्व देकर सामाजिक समीकरण को साधा गया है। इसके अलावा पश्चिमी यूपी और पूर्वांचल को जगह देकर क्षेत्रीय संतुलन बनाने की कोशिश गई है।
जितिन प्रसाद (ब्राह्मण) को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। वहीं, राज्यमंत्री के रूप में छत्रपाल गंगवार (कुर्मी), पलटूराम (जाटव), संगीता बलवंत बिंद (निषाद), संजीव कुमार गोंड (अनुसूचित जनजाति), दिनेश खटीक (सोनकर), धर्मवीर प्रजापति (प्रजापति समाज), छत्रपाल सिंह गंगवार (कुर्मी) वर्ग से मंत्री बने हैं।
मंत्रियों के चयन में इलाकों का भी बड़ी सावधानी से सेलेक्शन किया गया है। प्रदेश के हर कोने को समेट लेने की कोशिश की गई है। योगी के मंत्रिमंडल में शामिल नए चेहरों में कोई चौंकाने वाला नहीं है।
भाजपा के एक बड़े नेता का कहना है कि विधानसभा चुनाव से ठीक पहले योगी सरकार मंत्री मंडल बिल्कुल मोदी मॉडल के रूप में हुआ है। इसीलिए बिल्कुल नए चेहरों को जगह दी गयी है। इनमें से 5 लोग ऐसे हैं जो पहली बार सदन पहुंचे हैं। 6 दलित और पिछड़े को चुनकर भाजपा ने उनके समर्थकों न केवल खुश करने का प्रयास किया है। बल्कि इन्हीं के जरिए ब्रांडिग भी करने जा रही है। गैर जाटव और यादव को जगह देकर अपनी चुनावी रोड मैप को ठीक किया गया है। उन्होंने बताया कि विस्तार के बाद ब्राम्हणों की संख्या 8 से बढ़कर 9 हो गयी है।
मंत्री मंडल विस्तार में पश्चिमी यूपी में खासकर आगरा, मेरठ, बरेली, शाहजहांपुर से एक-एक मंत्री बनाया गया है। वहीं पूर्वांचल से गाजीपुर, सोनभद्र, अवध के बलरामपुर से भी एक मंत्री बनाए गये हैं। अनुसूचित जाति और पिछड़ी जातियों की भागीदारी को बढ़ाकर तथा अनसूचित जनजाति को प्रतिनिधित्व देकर सोषल इंजीनियरिंग के फॉर्मूले को जमीन पर उतारने का प्रयास किया गया है। प्रदेश में 3 फीसद की हिस्सेदारी रखने वाली खटिक बिरादरी को विस्तार में जगह देकर गैर जाटव वोट मतदताओं को रिझाने का प्रयास किया गया है।
लोकसभा चुनाव बाद अगस्त 2019 में पहले विस्तार में क्षेत्रीय व जातीय संतुलन साधकर खामियों को दूर करने प्रयास किया गया है। पार्टी के रणनीतिकारों ने उन वर्गों व जातियों को राजनीति में भागीदारी देने का प्रयास किया गया है जिनके बीच में भाजपा की पकड़ व पहुंच बढ़ी है। साथ ही जिन्हें कई कारणों से सियासत में हशिए पर रहना पड़ा है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कहना है कि उ.प्र. मंत्रिमंडल का विस्तार पं. दीनदयाल उपाध्याय जी के दर्शन को प्रतिबिंबित करता है। विस्तार हर तबके को प्रतिनिधित्व, सामाजिक संतुलन की भावना, समरसता का संदेश तथा अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति को अवसर प्रदान करने की मंशा से ओतप्रोत है।

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