दरअसल, यूपी विधानसभा उपाध्यक्ष के पद के लिए 18 अक्टूबर को चुनाव होेने हैं। विधानसभा स्पीकर हृदय नारायण दीक्षित ने तारीख की घोषणा कर दी है। अभी उपाध्यक्ष के पद को लेकर पक्ष और विपक्ष में सियासी नूराकुश्ती चल ही रही थी कि इसी नाजुक वक्त में बीजेपी की सहयोगी पार्टी अपना दल (एस) ने ऐसी माँग रख दी कि बीजेपी को कोई राह नहीं सूझ रहा।
बीजेपी इस पद पर सपा के बागी विधायक नितिन अग्रवाल को बैठाकर वैश्य समाज को साधने का प्लान बना रही थी वहीं अपना दल (एस) ने दलित और ओबीसी कार्ड खेलते हुए इस पद पर किसी पिछड़े या दलित को बैठाने की माँग रख दी है। पार्टी के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष आशीष पटेल ने कहा कि उत्तर प्रदेश में बीजेपी को विधानसभा का उपाध्यक्ष किसी पिछड़े या अनुसूचित जाति के विधायक को बनाना चाहिए।
लखीमपुर खीरी काण्ड में भी अपना दल ने बनाया था दबाव लखीमपुर खीरी कांड में भी अपना दल के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष आशीष पटेल ने केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा को गिरफ्तार करने की मांग की थी और उनकी गिरफ्तारी के बाद योगी सरकार को धन्यवाद भी दिया था।
सीट बँटवारे पर भी नहीं बनी सहमति बीजेपी के सहयोगी दलों में अभी तक सीट बँटवारे को लेकर भी कोई सहमति नहीं बनी है। जिसके चलते अपना दल (एस) और निषाद पार्टी दोनों ही बीजेपी पर ज्यादा सीटों का दबाव बना रही हैं। ये आलम तब है जब केन्द्रीय मंत्री और यूपी के चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान ने पिछले महीने लखनऊ में प्रेस कॉफ्रेंस करके कहा था कि, “सहयोगी दलों को सीटें सम्मानजनक मिलेंगी और सही समय पर गठबंधन की सीटों की घोषणा होगी।”