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यूपी विधानसभा चुनाव 2022: लखीमपुर किसान आंदोलन और अपनों की नाराजगी भाजपा के लिए बड़ी चुनौती

locationलखनऊPublished: Oct 07, 2021 02:17:23 pm

Submitted by:

Vivek Srivastava

चुनावों के ठीक पहले हुई लखीमपुर खीरी हिंसा (Lakhimpur Kheri violence) भाजपा के गले की हड्डी बनती जा रही है। विपक्षी दल जिस तरीके से इस मुद्दे को भुनाने में लगे हैं उससे आने वाले विधानसभा चुनावों (UP assembly elections 2022) चुनावों में भाजपा की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। वहीं पार्टी को अपने ही सांसदों और विधायकों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है।

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लखनऊ. उत्तर प्रदेश में 2022 के विधानसभा के चुनाव का बिगुल बज चुका है। बीजेपी, सपा, कांग्रेस, बसपा सहित अन्य छोटे दल भी चुनावी मोड में आ गये हैं। मिशन 2022 को फतेह करने में बीजेपी की तैयारियां सबसे जोरों पर हैं। लेकिन, बीजेपी को कितनी सफलता मिलती है, यह आने वाला समय ही बताएगा। मगर चुनावों के ठीक पहले हुई लखीमपुर खीरी हिंसा भाजपा के गले की हड्डी बनती जा रही है। किसान आंदोलन के चलते यूपी में बीजेपी पूरी तरह से बैकफुट पर है।
अपने ही हो रहे विरोधी

इसके साथ ही पार्टी को अपने ही सांसदों और विधायकों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है। यूपी के कई सांसदों और विधायकों ने अपनी ही सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठाये हैं। हाल ही में सीतापुर के एक नाराज़ भाजपा विधायक तो सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से भी मिले थे। हरदोई के विधायक आशीष सिंह भी योगी सरकार के कामकाज से असंतुष्ट हैं। इसके अलावा बीजेपी सांसद वरुण गांधी, बरेली के दो सांसद समेत कई जनप्रतिनिधि योगी सरकार की कार्यशैली से नाराज हैं।
सीएम के आदेशों की सख्ती ने अपनों को किया दूर

2017 में 300 से अधिक विधायकों के साथ यूपी की सत्ता संभालते ही सीएम योगी ने अपने इरादे स्पष्ट कर दिए थे कि वह किसी के दबाव में काम नहीं करेंगे। उन्होंने अपने मंत्रियों और विधायकों को भी कानून के दायरे में रहकर काम करने की नसीहत भी दी थी। योगी के मुख्यमंत्री बनने के बाद करीब दो साल तक सब कुछ ठीक चलता रहा। इस दौरान योगी सरकार ने कानून व्यवस्था में सुधार के लिए कई कड़े कदम भी उठाए। जिसमें ऑपरेशन, क्लीन, ऑपरेशन बुलडोजर आदि कई प्रमुख फैसले शामिल हंै। इस दौरान सीएम योगी के आदेशों का सख्ती से पालन करने के बहाने अफसरों ने जनप्रतिनिधियों की बातों को भी अनसुना करना शुरू कर दिया। जिसको लेकर कई विधायकों ने संगठन से सरकार के कामकाजों के लेकर पत्र के जरिए सवाल उठाए।
बैठकों से नहीं निकला कोई रास्ता

इसके अलावा कुछ मंत्रियों के बयानों में सरकार के कामों के लेकर विरोध दिखा। संगठन ने मामले की गंभीरता को देखते हुए कई बार सरकार और संगठन के बीच समन्वय को लेकर बैठकें भी हुईं। बैठकों के बाद सरकार-संगठन ने सामूहिक बयान जारी कर समन्वय की बात कही।
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