मंडल आंदोलन के बाद उत्तर प्रदेश में यादव सत्ता के केंद्रबिंदु में आ गए। मुलायम सिंह यादव और बाद में उनके पुत्र अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बने। मुलायम से पहले राम नरेश यादव यूपी के मुख्यमंत्री बन चुके थे। ओबीसी की सभी जातियों में सबसे ज्यादा यादव ही राजनीतिक रूप से फायदा उठाने में आगे रहे।
इटावा, एटा, मैनपुरी, फर्रुखाबाद, आजमगढ़, कन्नौज, बलिया, अयोध्या, संत कबीर नगर और कुशीनगर जिले यादव बहुल माने जाते हैं। यहां यादव वोटर चुनाव के दौरान किसी भी कैंडिडेट की हार जीत में अहम भूमिका निभाते हैं। करीब 44 जिलों में यादव मतदाताओंं की संख्या 8 प्रतिशत से अधिक है। वही 9 जिलों में करीब 15 प्रतिशत यादव वोटर हैं।
समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव हैं। इसलिए स्वाभाविक रूप से इस दल में यादवों का वर्चस्व है। सपा से अलग हुए शिवपाल सिंह यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) में भी यादव नेताओं की अधिकता है। यादवों में ग्वाल, कमरिया व ढढोर जैसी उपजातियां भी हैं। सपा और प्रसपा के अलावा अन्य दलों में भी यादव जाति के दमदार नेता हैं।
सपा- मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव, रामगोपाल यादव, रमाकांत यादव, धर्मेंद्र यादव
प्रसपा- शिवपाल सिंह यादव, आदित्य यादव
भाजपा- हरनाथ सिंह यादव, गिरीश यादव यूपी में यादव मुख्यमंत्री-
-रामनरेश यादव- 23 जून 1977 से 27 फरवरी 1979
-मुलायम सिंह यादव – 5 दिसंबर 1989 से 24 जून 1991, फिर 4 दिसंबर 1993 से 3 जून 1995 और 29 अगस्त 2003 से 13 मई 2007।
– अखिलेश यादव – 15 मार्च 2012 से 2017
2009 लोकसभा चुनाव-
समाजवादी पार्टी-73 फीसदी
कांग्रेस-11 फीसदी
भाजपा-06 फीसदी
बसपा- 05 फीसदी 2014 लोकसभा चुनाव
सपा-53 फीसदी
बीजेपी-27 फीसदी
बसपा-5 फीसदी
कांग्रेस-8 फीसदी