– प्रदेश के कई और जिलों में भी गन्ना किसानों ने मूल्य भुगतान को लेकर किया प्रदर्शन
– सरकार के खिलाफ व्यक्त की नाराजगी
– प्रदर्शन को देख सुबह से ही लगा दी बैरिकेडिंग
आक्रोशित किसानों ने सुबह चार बजे से किया विधानसभा का घेराव, जलाई पराली, कई हिरासत में
लखनऊ. पिछले कई दिनों में विभिन्न कारणों से किसानों के सब्र का बांध टूट गया है और वह अपनी मांगों को पूरा कराने के लिए सड़कों पर उतर आए हैं। कभी आवारा पशुओं से निजात को लेकर तो कभी सही लागत न मिलने को लेकर पिछले कुछ दिनों में किसानों ने कई दफा सरकार के खिलाफ अपनी नाराजगी व्यक्त की है। इसी तरह बुधवार को भी सैकड़ों किसानों ने विधानसभा का घेराव कर विरोध प्रदर्शन किया।
गन्ना मूल्य में बढ़ोत्तरी न होने पर भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) ने बुधवार को समूचे उत्तर प्रदेश में जक्का जाम करने का ऐलान किया। इसकी एक बानगी सुबह राजधानी लखनऊ में देखने को मिली। मलिहाबाद से आए तमाम किसानों ने विधानसभा (UP Vidhansabha) का घेराव कर सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। भाकियू प्रदर्शन को देखते हुए हजरतगंज इलाके में सुबह से ही बैरिकेडिंग कर सड़क बंद कर दी गई थी।
उधर, चिनहट थाना इलाके में भाकियू के मंडल अध्यक्ष हरिनाम वर्मा के नेतृत्व में पराली व गन्ना की होली जलाकर विरोध किया और गन्ना मंत्री के खिलाफ नारेबाजी की। किसानों ने कहा कि पिछले तीन सालों से गन्ना उत्पादन में बढ़ोतरी हुई। लेकिन सरकार (UP Government) ने इस साल गन्ना में कोई भी बढ़ोत्तरी न कर किसानों के हितों पर प्रहार किया है। पिछले तीन सालों में गन्ने की 11.30 प्रतिशत रिकवरी हुई है। यह पहले की रिकवरी से साढ़े तीन प्रतिशत ज्यादा है। लेकिन इसका फायदा किसानों को मिलने की जगह मालिकों को मिलता है। किसानों ने कहा कि शुगर मालिकों को संरक्षित करने के लिए सरकार किसानों का गला घोंट रही है।
सिर्फ वादों से काम चलाना चाहती है सरकार: शेखर दीक्षित किसानों के उग्र व्यवहार को राष्ट्रीय किसान मंच (Rashtriya Kisan Manch) के अध्यक्ष शेखर दीक्षित ने सही ठहराया। उन्होंने कहा कि किसानों की चिंता जायज है। सरकार निरंतर उनसे सिर्फ वादों से काम चलाना चाहती है। चुनाव वर्ष में भी गन्ना मूल्य न बढ़ाना ये दर्शाता है की किसानों की तरफ़ प्रदेश और केंद्र सरकार का कोई ध्यान नहीं है। मुख्यमंत्री द्वारा 14 दिनों में भुगतान की बात भी सिर्फ़ जुमला साबित हुई है। किसानों का भुगतान न ही सरकारी चीनी मिलें कर रही हैं और न ही प्राइवेट। ऐसे में किसान के पास सरकार तक अपनी बात पहुंचाने के लिए अन्य कोई विकल्प नहीं बचता। अगर फिर भी सरकार ने जल्द ही इसका समाधान नहीं निकाला, तो भविष्य में ये प्रदर्शन और उग्र होंगे।
वहीं, किसानों का कहना है कि बच्चों को पढ़ाने से लेकर घर के हर एक कामकाज के लिए उनके पास सिर्फ गन्ना ही आमदनी का एक स्त्रोत है। ऐसे में अगर गन्ना मूल्य भुगतान देर से होगा और गन्ने का समर्थन मूल्य भी दो साल में एक बार बढ़ेगा, तो घर का चूल्हा कैसे जलेगा। ऐसे में सरकार के सामने अपनी बात रखने के लिए वे तब तक आंदोलन करते रहेंगे, जब तक कि उनकी मांगें पूरी नहीं हो जाती।