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यूपी की ये एथलीट देश के बाहर बहा रहीं पसीना, जीतना चाहती हैं एशियाई खेल पदक

locationलखनऊPublished: Jul 18, 2018 12:46:53 pm

Submitted by:

Mahendra Pratap

यूपी की एथलीट देश के बाहर एशियाई खेल पदक जीतने के लिए खूब पसीना बहा रही हैं।

यूपी की ये एथलीट देश के बाहर बहा रहीं पसीना, जीतना चाहती हैं एशियाई खेल पदक

यूपी की ये एथलीट देश के बाहर बहा रहीं पसीना, जीतना चाहती हैं एशियाई खेल पदक

लखनऊ. यूपी की एथलीट देश के बाहर एशियाई खेल पदक जीतने के लिए खूब पसीना बहा रही हैं। अगले महीने में जकार्ता में एशियाई खेल होने जा रहा हैं। जिसमें यूपी की एथलीट ने भी भाग लिया है। यूपी की बहू यानी डिस्कस थ्रोअर सीमा पूनिया रूस में तो वहीं रायबरेली की स्टीपलचेजर सुधा सिंह व चिंता यादव भूटान में ट्रेनिंग पर हैं। एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इण्डिया ने भूटान का चयन किया क्योंकि वहां का वातावरण जकार्ता से अच्छा खासा मिलता जुलता है। एशियाई खेल तो जकार्ता में ही होना हैं। वहीं सीमा पूनिया की ट्रेनिंग की पसंदीदा जगह रूस है। बताया जा रहा है कि रूस में ट्रेनिंग कर उन्होंने कई पदक जीतकर अपने देश का नाम रोशन किया है।

रूस में ट्रेनिंग पर सीमा पूनिया

बताया जा रहा है कि सीमा पूनिया इन दिनों अभी रूस में ट्रेनिंग के दौर पर हैं। रूस में ट्रेनिंग करके ही सीमा ने गोल्ड कोस्ट में हुए राष्ट्रमण्डल खेल में रजत पदक जीता था। देश की सबसे ज्यादा अनुभवी थ्रोअर सीमा पूनिया के लिए यह चौथा एशियाई खेल होगा। एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इण्डिया ने उनका एशियाई खेल के लिए उनका चयन राष्ट्रमण्डल खेल में किए गए प्रदर्शन के आधार पर किया है। उन्होंने 2014 इंचियोन एशियाई खेल में स्वर्ण पदक भी जीता था। इसके अलावा वह पहली ऐसी एथलीट साबित हुई जिसने राष्ट्रमण्डल खेल में लगातार चार बार पदक जीते हैं। वह तीन ओलंपिक खेल में भी हिस्सा ले चुकी हैं।

भूटान में ट्रेनिंग पर हैं सुधा सिंह व चिंता यादव

लखनऊ हॉस्टल में ट्रेनिंग करने वाली रायबरेली की सुधा सिंह और देवरिया की रहने वाली चिंता यादव इन दिनों एशियाई खेल पदक जीतने के लिए भूटान में पसीना बहाकर ट्रेनिंग कर रही हैं। भूटान के थिम्फू इलाके में समुद्र तल से करीब 2500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित हाई एल्टीट्यूड सेंटर में दोनों ट्रेनिंग पर हैं। सुधा सिंह देश की सबसे अनुभवी एथलीट मानी जा ती हैं। वह बताती हैं कि भूटान में ट्रेनिंग कर एथलीटों के प्रदर्शन पर सकारात्मक असर पड़ा है। उन्होंने राष्ट्रीय अंतरराज्यीय एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 9 मिनट 39.34 सेकेंड का समय निकालकर स्वर्ण पदक जीता था।

देवरिया की रहने वाली चिंता यादव 2005 में लखनऊ हॉस्टल में दाखिल हुईं थीं। कोच विमला सिंह की निगरानी में उन्होंने कई सफलताएं हासिल कीं हैं। कोलकाता में एक खदान में काम करने वाले राम विदेशी यादव की बेटी चिंता का पहला एशियाई खेल होगा। चिंता ने बताया कि भूटान में ट्रेनिंग करके उनके प्रदर्शन में काफी सुधार आया है। वह जकार्ता में पदक जीतने के लिए अपनी पूरी ताकत लगाने के लिए तैयार हैं।

तुर्की में ट्रेनिंग पर हैं विनेश फोगट

भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली भारतीय महिला विनेश फोगट एशियाई खेल पदक के लिए पिछले सप्ताह तुर्की में ट्रेनिंग पर गई। ये पहलवान वहां विदेशी एक्सपोजर के लिए ट्रेनिंग करेंगी और इसके साथ ही कुछ कम्पटीशन में भी हिस्सा ले सकती हैं। वहीं राष्ट्रमण्डल खेल की स्वर्ण पदक विजेता विनेश फोगट स्पेन गई थीं। वहां उन्होंने स्पेनिश ग्रां प्री कुश्ती में स्वर्ण पदक भी जीतकर अपने देश का नाम रोशन किया है।

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