बसों की सूची में फर्जीवाड़े का आरोप लल्लू को 20 मई को गिरफ्तार किया गया था, तब से वह जेल में ही बंद हैं। लल्लू के ऊपर प्रवासी श्रमिकों को लाने के लिए बसों की सूची में फर्जीवाड़े के आरोप है और एमपी-एमएलए की स्पेशल कोर्ट से उन्हें कोई राहत नहीं मिली थी। एमपी-एमएलए कोर्ट के विशेष जज पवन कुमार राय ने कहा कि मामला गंभीर है, जिसकी जांच जारी है। इसलिए इस स्तर पर जमानत देने का कोई मतलब नहीं।
बताया राजनीतिक साजिश जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने जिला शासकीय अधिवक्ता मनोज त्रिपाठी के तर्कों को मानते हुए यह आदेश पारित किया। मनोज त्रिपाठी की दलील थी कि लल्लू के खिलाफ अब तक की विवेचना में पर्याप्त सबूत मिले हैं। उन्होंने कहा कि लल्लू ने अपर मुख्य सचिव (गृह) को पात्र लिखकर बसों की सूची उपलब्ध कराई थी। लेकिन लल्लू ने कूटरचित सूची भेजकर सरकारी काम में बाधा डाली और श्रमिकों के जीवन को भी खतरे में डाला। हालांकि लल्लू के वकील ने इसका विरोध किया और इसे राजनीतिक साजिश बताकते हुए उनकी जमानत की मांग की।