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UP Cooperative Elections : तीन दशक बाद सपा का टूटा तिलिस्म, बीजेपी की रिकॉर्ड जीत

locationलखनऊPublished: Sep 03, 2020 12:53:46 pm

Submitted by:

Hariom Dwivedi

UP Cooperative Elections : उत्तर प्रदेश में सहकारी ग्राम विकास बैंक की 312 शाखाओं में से 293 सीटों पर जीती बीजेपी, 276 उम्मीदवार निर्विरोध जीते

UP Cooperative Elections : तीन दशक बाद सपा का टूटा तिलिस्म, बीजेपी की रिकॉर्ड जीत

सहकारिता चुनाव में इससे पहले कभी किसी एक दल की इतनी बड़ी जीत नहीं हुई है।

लखनऊ. उत्तर प्रदेश सहकारी ग्रामीण विकास बैंकों के चुनाव (UP Cooperative Elections) में ऐतिहासिक जीत दर्ज कर भारतीय जनता पार्टी ने समाजवादी पार्टी के तीन दशक के राजनीतिक वर्चस्व को तोड़ दिया है। इस चुनाव में बीजेपी ने 323 शाखाओं में 293 सीटों पर जीत दर्ज की है। इसके साथ ही बैंक के सभापति पद पर भाजपा का कब्जा होना तय हो गया है। वर्ष 1998 और 1999 के बाद यह दूसरा मौका है, जब बैंक की प्रबंध समिति में भाजपा का दबदबा रहेगा। बताया जा रहा है कि इससे पहले कभी किसी एक दल की इतनी बड़ी जीत नहीं हुई है।
उत्तर प्रदेश में सहकारी ग्राम विकास बैंक की 323 शाखाएं हैं। प्रत्येक शाखा से एक प्रतिनिधि का चुनाव होना था। अलग-अलग कारणों से 11 शाखाओं के चुनाव स्थगित हो गए हैं, जिसके चलते कुल 312 शाखाओं पर चुनाव हुए। इनमें से 293 सीटों पर बीजेपी जीती, जिनमें से बीजेपी के 276 उम्मीदवार निर्विरोध चुने गये। बीजेपी के अलावा 19 सीटों पर अन्य विजयी हुए। इनमें शिवपाल सिंह यादव और उनकी पत्नी सरला यादव के अलावा ज्यादातर सपा के उम्मीदवार हैं।
निर्वाचित प्रतिनिधि अब 14 डायरेक्टर चुनेंगे, जिनमें से एक सभापति और एक उपसभापति चुना जाएगा। इन जीते हुए शाखा प्रतिनिधियों द्वारा बैंक की प्रबंध कमेटी के सदस्यों का निर्वाचन 22 और 23 सितंबर को किया जाएगा। इस चुनाव के बाद अब बैंक के प्रबंध कमेटी पर बीजेपी का कब्जा हो जाएगा और 23 सितंबर को बैंक के सभापति, उप सभापति और अन्य समितियों में भेजे जाने वाले प्रतिनिधियों का चुनाव होना है।
यूपी में ऐसे खिला बीजेपी का कमल
सहकारी ग्रामीण बैंक की स्थानीय प्रबंध समितियों व सामान्य सभा के चुनाव में बीजेपी ने पश्चिम की 59 में से 55, अवध की 65 में 63, काशी क्षेत्र की 38 में से 33 और गोरखपुर की 34 में 30 स्थानों पर बीजेपी ने कब्जा जमाया है। ऐसे ही कानपुर क्षेत्र में 45 में से 34 और ब्रज में 82 में से 78 क्षेत्र में बीजेपी को जीत मिली है।
टूटा सपा का तिलिस्म
बीजेपी ने सहकारिता के क्षेत्र में बड़ी जीत दर्ज करते हुए समाजवादी पार्टी के तीन दशक पुराने तिलिस्म को तोड़ दिया। वर्ष 1991 से अब तक सहकारिता के क्षेत्र में सपा और खासकर ‘यादव परिवार’ का एकाधिकार रहा है। यहां तक कि मायावती के दौर में भी सहकारी ग्रामीण विकास बैंक पूरी तरीके से यादव परिवार के कंट्रोल में ही रहा। प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के मुख्यिा शिवपाल सिंह यादव यूपी सहकारिता के स्वयंभू माने जाते थे। शिवपाल यादव खुद की और अपनी पत्नी सरला यादव की सीट बचाने में जरूर कामयाब रहे हैं, लेकिन पूर्वांचल से पश्चिमी यूपी तक उनके सभी सिपहसालार मात खा गये हैं। बीजेपी की प्रचंड जीत की वजह सरकार व भाजपा संगठन की व्यूह रचना मानी जा रही है। प्रदेश के सहकारिता मंत्री मुकुट बिहारी वर्मा ने जीत का श्रेय पार्टी संगठन को देते हुए कहा कि उसने कार्यकर्ताओं को अभियान चलाकर सक्रिय किया। उससे आई जागरूकता ने यह परिवर्तन कराया है। वहीं, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने विपक्ष के आरोपों को निराधार बताते हुए विजयी प्रतिनिधियों को बधाई दी।
1960 में पहली बार निर्वाचित हुए थे जगन सिंह रावत
वर्ष 1960 में जगन सिंह रावत उत्तर प्रदेश के सहकारी ग्रामीण बैंक के पहले सभापति निर्वाचित हुए थे। रऊफ जाफरी और शिवमंगल सिंह 1971 तक सभापति रहे। इसके बाद बैंक की कमान प्रशासक के तौर पर अधिकारियों के हाथ में आ गई। वर्ष 1991 में सहकारिता के क्षेत्र में मुलायम परिवार की एंट्री हुई। करीब तीन माह के लिए हाकिम सिंह सभापति बने। वर्ष 1994 में शिवपाल यादव सभापति बने। वर्ष 1999 में तत्कालीन सहकारिता मंत्री रामकुमार वर्मा के भाई सुरजनलाल वर्मा सभापति चुने गये।
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