14 जनवरी को यूपी टीम जम्मू कश्मीर से भी हार गई। इससे शर्मनाक दिन शायद ही यूपी क्रिकेट में कभी आया होगा। मैच में खिलाड़ियों के प्रदर्शन ने चयन समिति को पोल खोल दी। करन शर्मा (4 बॉल पर 1 रन। और माधव कौशिक (25 बॉल पर 26 रन) मानो टेस्ट मैच खेल रहे हों। खब्बू बल्लेबाज सुरेश रैना भी 2 गेंदों पर 0 रन बनाकर आउट हो गये। कप्तान प्रियम गर्ग ने 36 बॉल पर 35 रन और शुभम चौबे ने 33 बॉल पर 28 रन बनाए।
20 ओवरों के मुकाबले में गेंदबाजों ने बॉलिंग ठीक की, लेकिन इनमें सबसे कमजोर कड़ी सानू सैनी ने 2 ओवरों में 34 रन लुटाकर साबित किया कि वो अभी इस लेबल की क्रिकेट के लिये तैयार नहीं हैं। सानू सैनी का जूनियर क्रिकेट में भी कमजोर प्रदर्शन रहा है, जिन्हें टीम में जीशान अंसारी की जगह चुना गया है।
यूपी के क्रिकेट हलकों में ये चर्चा जोरों पर रहती है कि टीम सेलेक्टर नहीं बल्कि एक ‘भाईजान’ चुनते हैं, जिन्होंने यूपी क्रिकेट को ऐसे रसातल में पहुंचा दिया है जहां से अब निकलने की उम्मीद कम ही दिखाई दे रही है। यूपी क्रिकेट में ऐसी चर्चा भी होती रहती है कि ये ‘भाईजान’ अपनी मनपसंद टीम बनाकर सेलेक्टर को थमा देते हैं। इसके बाद सेलेक्टर उस पर साइन कर देते हैं।
प्रदेश के क्रिकेट फैंस का कहना है कि सैयद मुश्ताक अली टी20 ट्रॉफी में यूपी टीम के शर्मनाक प्रदर्शन पर बहस जरूर होनी चाहिए। यूपीसीए और इसके सेलेक्टरों की जवाबदेही तय होनी चाहिए। नहीं तो होनहार क्रिकेटरों का भविष्य ऐसे ही चौपट होता रहेगा, जो डिजर्व नहीं करते हैं वो सोर्स-सिफारिश से टीम में जगह पाकर टीम को शर्मिंदा करते रहेंगे।