दरअसल गत 31अगस्त को कोर्ट ने सुल्तानपुर जिले के गिरोहबंद कानून के एक जमानत मामले में जानकारी तलब किया था। इसमें गोवध निवारण अधिनियम के तहत मात्र एक केस के आधार पर दो आरोपियों पर गैंगस्टर ऐक्ट की कारवाई की गई थी। अदालत ने दोनों आरोपियों को सशर्त जमानत पर रिहा करते हए प्रदेश में गायों व गौवंशोँ के संरक्षण मामले का संज्ञान लेकर गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष और डीजीपी से जानकारी मांगी थी। अदालत ने प्रदेश में गोवध निवारण अधिनियम के उल्लंघन में लोगों पर गिरोहबंद कानून के तहत प्रशासन द्वारा कारवाई के बढ़ रहे केसों की वजह से राज्य गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष से बिन्दुवार आख्या तलब की थी। चूंकि डीजी पी भी आयोग के सदस्य होते है, लिहाजा कोर्ट ने उन्हें निजी हलफनामे पर वांछित जानकारी पेश करने के साथ 22 सितंबर को अदालत में पेश होने के निर्देश दिए थे।
इसके तहत डीजीपी अपर महधिवक्ता शाही के साथ कोर्ट में पेश हुए और हलफ़नामा दाखिल किया। शाही ने कोर्ट को बताया कि प्रदेश में गौशालाओं, गायों व गौवंशों का संरक्षण मुकम्मल तरीके से यूपी सरकार कर रही है और इसके लिए मंडी शुल्क का 3 फीसदी खर्च करने का प्रावधान भी मौजूदा सरकार ने किया है। उन्होंने कहा कि किसी कानून के उल्लंघन में प्रशासन कारवाई नहीं कर रहा है और विधिक प्रक्रिया के तहत ही कानूनी कारवाई की जा रही है।शाही के मुताबिक कोर्ट ने वांछित जानकारी मिलने के बाद मामले को निस्तरित कर दिया।