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अफसरों की कारस्तानी से पुलिस महकमा शर्मसार, डीजीपी बोले- नहीं बख्शे जाएंगे दोषी

locationलखनऊPublished: Dec 01, 2020 04:13:21 pm

Submitted by:

Hariom Dwivedi

– अफसरों की कारस्तानी से शर्मसार पुलिस महकमा- एसपी भगोड़ा घोषित, दो डीआईजी निलंबित- पुलिसकर्मियों पर भ्रष्टाचार के 42 मुकदमे- पुलिस दुर्व्यवहार मामले में 263 पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई- पुलिस विवेचना में खेल करने के आरोप में 1675 पुलिसकर्मी दोषी

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UP DGP Hitesh Chandra Awasthi

पत्रिका न्यूज नेटवर्क
लखनऊ. कोरोना काल में पुलिसकर्मियों को उनकी बेहतर भूमिका के लिए याद किया जाएगा। लेकिन, इसी वर्ष खाकी पर कुछ ऐसे दाग भी लगे, जिसे पुलिस महकमा कभी याद नहीं करना चाहेगा। पुलिस विभाग के आंकड़े ही खाकी के दामन पर बढ़ते छींटों की गवाही देते हैं। भ्रष्टाचार के मामलों में वर्ष 2020 में आठ आइपीएस अधिकारी निलंबित किए जा चुके हैं। महोबा के एसपी मणिलाल पाटीदार को निलंबन के बाद भगोड़ा घोषित करार दिया गया है वहीं, भ्रष्टाचार के मामले में डीआइजी अरविंद सेन और डीआइजी दिनेश चंद्र दुबे भी निलंबित हो चुके हैं। इसके अलावा अन्य दो अफसरों के खिलाफ भ्रष्टाचार मामलों की जांच चल रही है। कानपुर का बहुचर्चित बिकरू कांड भी इसी वर्ष हुआ, जिसमें पुलिसकर्मियों ने खुद ही मुखबिरी कर पूरे महकमे को शर्मसार कर दिया। एक जनवरी 2020 से 31 अक्टूबर 2020 के बीच भ्रष्टाचार की शिकायतों पर पुलिसकर्मियों के विरुद्ध 42 मुकदमे दर्ज किए गए हैं। इनमें से चार पुलिसकर्मियों के खिलाफ बर्खास्तगी की भी कार्रवाई की गई। उत्तर प्रदेश के डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी का कहना है कि पुलिसकर्मियों के भ्रष्टाचार में लिप्त होने व अन्य शिकायतों पर पुलिस महकमा गंभीर है। किसी भी दोषी पुलिसकर्मी को बख्शा नहीं जा रहा है, जांच के बाद सभी के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।
वर्ष 2020 में पुलिस दुर्व्यवहार की शिकायतों में भी करीब दो गुने का इजाफा हुआ, जो मित्र पुलिस के दावे पर सवालिया निशान खड़े कर रहा है। एक जनवरी 2019 से 31 अक्टूबर 2019 के मध्य 106 दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ पुलिस दुर्व्यवहार के मामलों के तहत कार्रवाई हुई, जबकि एक जनवरी 2020 से 31 अक्टूबर के मध्य 263 पुलिसकर्मियों को दोषी करार देते हुए उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की गई है। इनमें 12 मामलों में दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है, जबकि एक आरोपित पुलिसकर्मी को नौकरी से हाथ धोना पड़ा है। भ्रष्टाचार के मामलों में इंस्पेक्टर से लेकर सिपाही तक पर कार्रवाई डेढ़ गुना अधिक हुई है। वर्ष 2020 में 250 पुलिसकर्मियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की गई है जबकि बीते वर्ष 160 अराजपत्रित पुलिसकर्मियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की गई थी। इसके अलावा पुलिस विवेचना में खेल करने के गंभीर आरोपों में इस वर्ष 1675 दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई गई है, जबकि बीते वर्ष 1156 दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई हुई थी।
‘भगोड़ा’ एसपी मणिलाल पाटीदार पर 25 हजार का ईनाम
क्रशर कारोबारी इंद्रकांत त्रिपाठी की मौत के मामले में महोबा के निलंबित एसपी मणिलाल पाटीदार फरार है। भगोड़ा घोषित करार देने के बाद अब आईपीएस को सरगर्मी से तलाश कर रही है। महोबा के एसपी अरुण कुमार श्रीवास्तव ने पाटीदार पर 25 हजार रुपए का ईनाम घोषित किया है। केस दर्ज होने के बाद से वह फरार है। इस मामले के आरोपितों में तत्कालीन एसओ देवेंद्र और दो अन्य को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है। 8 सितंबर को क्रशर कारोबारी की गोली मार कर हत्या कर दी गई थी। 5 दिन बाद इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। इलाज के दौरान कारोबारी ने एक वीडियो के जरिए पाटीदार पर संगीन आरोप लगाए थे। कारोबारी की मौत के बाद उनके भाई रविकांत ने महोबा के पूर्व एसपी मणिलाल पाटीदार और कबरई थाने के तत्कालीन थानेदार समेत दो अन्य के खिलाफ हत्या और साजिश की एफआईआर दर्ज कराई थी।
बिकरू कांड : पुलिसकर्मियों ने ही कराई महकमे की किरकिरी
कानपुर के बिकरू कांड में पुलिसकर्मियों द्वारा अपनों के ही खिलाफ मुखबिरी के मामले से महकमे की खूब किरकिरी हुई। दो जुलाई 2020 को बिकरू गांव में सीओ सहित आठ पुलिसकर्मियों की उस वक्त हत्या कर दी गई थी जब पुलिस टीम गैंगस्टर विकास दुबे को पकड़ने गई थी। पुलिस की भूमिका पर सवाल उठे तो जांच के लिए एसआईटी गठित की गई। एसआईटी ने अपनी जांच रिपोर्ट में 37 पुलिसकर्मियों को दोषी मानते हुए आरोपितों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की सिफारिश की।
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