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बुद्धालैंड या पूर्वांचल: दस साल पहले यूपी के विभाजन की मांग ठुकरा दी थी भाजपा ने, फिर पूर्वांचल के गठन का क्यों छोड़ा गया शिगूफा

locationलखनऊPublished: Jun 11, 2021 07:04:46 pm

Submitted by:

Abhishek Gupta

क्या यूपी का बंटवारा होगा? विधान सभा चुनाव 2022 से ठीक पहले यह शिगूफा एक बार फिर छोड़ा गया है।

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लखनऊ. क्या यूपी का बंटवारा होगा? विधान सभा चुनाव 2022 से ठीक पहले यह शिगूफा एक बार फिर छोड़ा गया है। एक दशक पहले जब मायावती यूपी की मुख्यमंत्री थीं तब 21 नवंबर 2011 को उन्होंने उप्र को चार भागों में विभाजित करने का प्रस्ताव विधानसभा में पारित करवाया था। लेकिन, केंद्र सरकार ने इसे वापस कर दिया था। तब सपा, कांग्रेस समेत भाजपा ने इसे बसपा की इस मांग का समर्थन नहीं किया था। अब अब एक बार फिर यूपी से पूर्वांचल को अलग करने की बात हो रही है।
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तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने यूपी के 4 राज्यों में बंटवारा करने की सिफारिश की थी। प्रस्ताव के मुताबिक पूर्वाचल में 32, पश्चिम प्रदेश में 22, अवध प्रदेश में 14 और बुंदेलखंड में सात जिले शामिल होने थे। तब केंद्र ने राज्य सरकार से पूछे से सात सवाल-
1. नौकरशाही का बंटवारा कैसे?
2. कर्ज के पैसे का बंटवारा कैसे?
3. बंटवारे का बोझ कौन-कैसे सहेगा?
4. सीमाएं कैसे तय की जाएगी?
5. चारों राज्यों की राजधानियां कहां होंगी?
6. पेंशन का बोझ बांटने की क्?या योजना है?
7. राजस्व साझेदारी व्यवस्था किस तरह से होगी?
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पूर्वांचल नहीं चाहिए बुद्धालैंड-
अलग पूर्वांचल राज्य की मांग बहुत पुरानी है। 1962 में गाजीपुर के तत्कालीन सांसद विश्वनाथ प्रसाद गहमरी ने अलग पूर्वांचल राज्य की मांग उठायी थी। तब उन्होंने यहां की गरीबी को अलग राज्य होने का आधार बनाया था। इसके बाद समय-समय पर कई संगठन इसकी मांग उठाते रहे हैं। अब पूर्वांचल सेना बुद्धालैंड राज्य के गठन की मांग कर रही है। पूर्वांचल का सेना का कहना है कि यह पूरा इलाका भगवान बुद्ध की कर्मस्थली रहा है। इसलिए इसे बुद्धालैंड के रूप में अलग पहचान मिलनी चाहिए। इसमें पूर्वांचल के 27 जिले शामिल होने चाहिए।
खुद योगी नहीं चाहते अलग पूर्वांचल-
योगी आदित्यनाथ ने 6 सितंबर 2013 को संसद में पूर्वांचल राज्य के गठन की मांग उठायी थी। तब उन्होंने यहां की बोली, भाषा और गरीबी के आधार पर अलग राज्य की जरूरत बतायी थी। हालांकि अब जब वह उप्र के मुख्यमंत्री हैं वे खुद नहीं चाहते कि यूपी का विभाजन हो।
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फिर कौन चाहता है अलग पूर्वांचल
जब से उप्र की राजनीति में पूर्व नौकरशाह एके शर्मा सक्रिय हुए हैं और एमएलसी बनाए गए हैं तब से यूपी पूर्वांचल के विकास की बात हो रही है। शर्मा पूर्वांचल के विकास पर फोकस भी कर रहे हैं। माना जाता है कि पूर्वांचल में सक्रिय क्षेत्रीय पार्टियों के वर्चस्व को तोडऩे और योगी आदित्यनाथ के प्रभाव को कम करने के लिए भाजपा का एक बड़ा वर्ग पूर्वांचल राज्य का राग छेड़कर नयी राजनीतिक हवा देना चाहता है। पूर्वांचल अलग राज्य बनता है तो गोरखपुर भी नए राज्य का ही हिस्सा होगा। यह योगी आदित्यनाथ का गढ़ है। योगी 1998 से 2017 तक पांच बार गोरखपुर लोकसभा सीट से सांसद रहे हैं। योगी गोरखपीठ के महंत भी हैं। इसका केंद्र गोरखपुर में ही है।
पूर्वांचल में शामिल जिले-
पूर्वी प्रदेश के 27 जिलों में बहराईच, श्रावस्ती, बलरामपुर, गोंडा, सिद्धार्थनगर, महाराजगंज, फैजाबाद, सुल्तानपुर, अंबेडकर नगर, बस्ती, संतकबीरनगर, गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, आजमगढ़, प्रतापगढ़, जौनपुर, मऊ, बलिया, गाजीपुर, वाराणसी, चंदौली, मिर्जापुर, सोनभद्र, कौशांबी, इलाहाबाद, संतरवीदास नगर को शामिल किया जा सकता है।
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