विधानसभा चुनाव में अपनी राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने का मन बना रहे मंत्री सांसद और वरिष्ठ नेताओं को भाजपा को नई नीति से झटका लगेगा। पार्टी ने तय किया है कि किसी भी ऐसे मंत्री सांसद और नेता के परिवार के सदस्य को टिकट नहीं दिया जाएगा जो पहली बार चुनाव लड़ना चाह रहे हैं।
भाजपा के प्रदेश व राष्ट्रीय नेतृत्व में साफ कर दिया है कि किसी भी नेता कि नई पीढ़ी को टिकट नहीं दिया जाएगा। पार्टी उन्हीं नेताओं के परिवार के सदस्यों जैसे बेटा-बेटी और पत्नी को टिकट देगी जो वर्तमान में विधायक या सांसद हैं। हालांकि, पार्टी इनमें उन नेताओं को भी रियायत दे सकती है जिनकी आयु 75 वर्ष से अधिक होने के कारण उनका टिकट काटा जा रहा है। पार्टी के नेताओं का मानना है कि अगर शीर्ष नेतृत्व ने परिवारवाद को रोकने के लिए नई नीति को सख्ती से लागू नहीं किया तो दिग्गज नेताओं के परिवारी जन चुनाव लड़ने से वंचित रह जाएंगे। इसमें राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्रा के बेटे अमित मिश्रा, बिहार के राज्यपाल फागू सिंह चौहान के बेटे रामविलास चौहान, विधानसभा अध्यक्ष श्री देवनारायण दीक्षित के बेटे दिलीप दीक्षित और सहकारिता मंत्री मुकुट बिहारी वर्मा के बेटे गौरव वर्मा के नाम प्रमुख हैं। वहीं, सांसद रीता बहुगुणा जोशी के बेटे मयंक जोशी, केंद्रीय राज्य मंत्री कौशल किशोर के बेटे विकास किशोर व प्रभात किशोर और कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही के बेटे सुब्रता ही को टिकट मिलना मुश्किल हो सकता है।