भाजपा ने स्पष्ट कर दिया है कि वह पार्टी के पधाकारियों व प्रतिनिधियों को टिकट नहीं देगी। यदि किसी को टिकट चाहिए, तो वह नेता पहले पार्टी में अपने पद से इस्तीफा दे। इसके बाद ही संबंधित नेता टिकट की रेस में शामिल हो सकता है। सूत्रों की मानें तो मौजूदा विधायकों को भी इस बार टिकट नहीं दिया जाएगा। इसके अतिरिक्त टिकट को लेकर और भी कई मानक तय हुए हैं। बताया जा रहा है कि जिन विधायकों के क्षेत्र में हुए पंचायत चुनाव में खराब प्रदर्शन रहा है, उन विधायकों को टिकट नहीं मिलेगा। साथ ही विधायकों को लेकर आंतरिक सर्वेक्षण को भी आधार बनाया जाएगा।
बहुजन समाज पार्टी इस बार अपनी छवि को लेकर खासा सतर्क है। शुक्रवार को ट्वीट कर कहा कि इस बार किसी भी बाहुबली या माफिया को टिकट नहीं दिया जाएगा। बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी की जगह इस बार भीम राजभर को टिकट देकर मायावती ने साबित कर दिया कि उनकी कहनी और कथनी में कोई फर्क नहीं है। पार्टी प्रभारियों को भी स्पष्ट निर्देश हैं कि वह इस बात का ध्यान रखे। इसके अतिरिक्त बसपा इस बार फार्म भरवाकर इच्छुक प्रत्याशी से समाज के लिए किए गए कार्यों के बारे में पूछ रही है, जिससे चयन करने में आसानी हो।
कांग्रेस अगले साल चुनाव में प्रत्याशियों के चयन के लिए एबीसीडी फॉर्मूला अपना सकती है। यह रणनीति खुद कांग्रेस महासचिव व यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा ने बनाई है। इसके प्रत्याशियों का चयन उनकी क्षमता के हिसाब से होगा। सूत्रों की मानें ‘ए’ कैटेगरी में वह रहेंगे, जिन्हें कांग्रेस जिताऊ कैंडिडेट समझेगी, मतलब पार्टी के सबसे मजबूत कैंडीडेट। इस लिस्ट में 40 लोग शामिल होंगे। फिर ‘बी’ श्रेणी में आएंगे वह 100 लोग जो अपने-अपने इलाकों में बेहद मजबूत हैं या सबसे अधिक लोकप्रिय हैं। इसके बाद वह 150 लोग जो लंबे समय से क्षेत्र में सक्रिय हैं व कांग्रेस के लिए काम कर रहे हैं, उन्हें ‘सी’ कैटेगरी में रखा जाएगा। आखिर में ‘डी’ कैटेगरी में वह 104 लोग शामिल होंगे, जिन्हें जीतने के लिए जमीनी स्तर पर मेहनत करनी पड़ेगी।