बीते जनवरी माह में पालीवाल समिति की रिपोर्ट आई थी। इसके बाद जिलाधिकारी, एसएसपी, जिला विद्यालय निरीक्षक, उच्च एवं प्राविधिक शिक्षा के अधिकारी, सीबीएसई, आइसीएसई और यूपी बोर्ड के अधिकारियों की कमेटी का गठन किया था। इसके बाद विद्यालयों का चिन्हांकन और मूल्यांकन हुआ। फिर कमेटी ने लोक सेवा आयोग से मंजूरी ली। इसके बाद शासन ने कमेटी को सूबे में पालीवाल समिति को लागू करने के आदेश दिए। शहर के नामचीन विद्यालय, शिक्षण संस्थान ही अब केंद्र बन सकेंगे। इसके साथ ही पहले जो विद्यालय प्रबंधक अपने बूते सेटिंग करके केंद्र बनवा लेते थे उनकी मनमानी खत्म होगी।
चार कैटेगरी में बांटे गए केंद्र
जिला विद्यालय निरीक्षक लखनऊ डॉ. मुकेश कुमार सिंह ने बताया कि ए,बी,सी और डी चार कैटेगरी में केंद्रों का निर्धारण किया जाएगा। ए कैटेगरी में अच्छे इंफ्रास्ट्रक्चर, ऑन रोड वाले राजकीय कॉलेज, निजी इंजीनियरिंग कॉलेज, विश्वविद्यालय, केंद्रीय विद्यालय और टॉप निजी कॉलेज शामिल होंगे। इसके बाद अन्य को बी, सी और डी कैटेगरी में रखा गया है। अगर परीक्षार्थी अधिक हैं तो फिर बी, सी और डी कैटेगरी के विद्यालयों में परीक्षार्थी शिफ्ट किए जाएंगे।