महाहड़ताल में बड़ी संख्या में शिक्षक शामिल हुए। शिक्षकों के शामिल होने से गुरुवार से शुरू हो रही यूपी बोर्ड परीक्षा पर भी बड़ा असर पड़ेगा। बोर्ड परीक्षा के दौरान कई शिक्षकों की ड्युटी कक्ष निरीक्षक के तौर पर लगती है। हड़ताली शिक्षकों का दावा है कि इस बार कोई भी परिषदीय शिक्षक कक्ष निरीक्षक का दायित्व नहीं निभाएगा। कर्मचारी शिक्षक अधिकारी पुरानी पेंशन बहाली मंच के संयोजक उमा निवास बाजपेई ने कहा कि अगर सरकार टकराव का रास्ता नहीं छोड़ती है, तो सात फरवरी से शुरू हो रही बोर्ड परीक्षा पर इसका असर पड़ेगा।
हड़ताल को देखते हुए मुख्य सचिव अनूप चंद्र पाण्डेय ने बीते सोमवार को ही आवश्यक सेवा अनुरक्षण कानून (एस्मा) लगने की अधिसूचना जारी कर दी थी। एस्मा लागू होने के दौरान होने वाली हड़ताल को अवैध माना जाता है। इसके उल्लंघन का दोषी पाए जाने पर एक साल तक की सजा और जुर्माने का प्रावधान है। एस्मा लागू होने के बाद अगर कर्मचारी हड़ताल पर जाता है तो क्रिमिनल प्रोसिजर के तहत एस्मा लागू होने के बाद इस आदेश से संबंधित किसी भी कर्मचारी को बिना किसी वारंट के गिरफ्तार किया जा सकता है।
हड़ताल पर गये राज्य कर्मचारियों की मांग है कि पुरानी पेंशन योजना फिर से लागू की जाये। दरअसल केंद्र सरकार ने वर्ष 2004 में नेशनल पेंशन स्कीम (एनपीएस) की शुरुआत की थी, जिसके लागू होने के बाद जो सरकारी कर्मचारी बहाल हुए वह सभी पुरानी पेंशन स्कीम की जगह एनपीएस के तहत आ गए। अब सरकारी कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने की इसलिए मांग कर रहे हैं, क्योंकि पुरानी स्कीम में कर्मचारियों का कोई कंट्रिब्यूशन नहीं था और तय पेंशन की गारंटी भी थी।
एस्मा लागू होने के बाद लखनऊ समेत प्रदेश के कई जिलों में धारा 144 भी लगा दी गई है। साथ ही किसी भी तरह के पुतले दहन और लोगों के जमावड़े पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। धारा 144 लगने के बाद किसी भी संवैधानिक संस्था के आसपास किसी भी प्रकार के झंडे और स्पीकर से प्रचार नहीं किया जा सकता है, साथ ही धरना, प्रदर्शन और हड़ताल पर भी प्रतिबंध रहेगा। कोई भी रैली, धरना, मशाल और जुलूस निकालने के लिए पहले प्रशासन से स्वीकृति लेने होगी।