लखनऊ

प्रदेश सरकार ने स्कूलों में स्वेटर वितरण के दिए निर्देश, लेकिन क्या समिति खुद बुनेगी स्वेटर?

बताया जा रहा है कि 200 रु तक का मैरून रंग का स्वेटर चार साइजों में खरीदा जाएगा।

लखनऊJan 03, 2018 / 11:28 pm

Abhishek Gupta

Sweater

लखनऊ. प्रदेश में स्कूली बच्चे ठंड से ठिठुर रहे हैं उनके लिए थोड़ी राहत की खबर है। प्रदेश सरकार ने बड़ा फ़ैसला लेते हुए विद्यालयों में स्वेटर बाटने को मंज़ूरी दे दी है। अब प्रदेश में विद्यालय प्रबंध समिति स्वेटर ख़रीद कर बच्चों में वितरित करेगी। दरअसल स्वेटर का टेंडर 28 दिसंबर को ही खुल चुका था, लेकिन बेसिक शिक्षा विभाग अभी तक इसमें हिस्सा लेने वाली फर्मों से मोलभाव करने में ही जुटा हुआ था, जिसमें वह अब तक असफल रहा। इसमें विलंब होता देख प्रदेश सरकार ने स्वेटर बांटने की जिम्मेदारी सरकारी स्कूलों की प्रबंध समितियों को ही दे दी है। तो अब स्कूल स्तर पर स्वेटर खरीदे जाएंगे जिनके वितरण पर डीएम नजर रखेंगे। 6 जनवरी से स्वेटर वितरण किए जाएंगे। इनकी खरीदारी के लिए 4 सदस्यीय कमेटी बनेगी। समिति में विद्यालय प्रबंध समिति अध्यक्ष, प्रधानाचार्य के अलावा एसएमसी के दो सदस्य होंगे। बताया जा रहा है कि 200 रु तक का मैरून रंग का स्वेटर चार साइजों में खरीदा जाएगा।
मात्र 200 रुपए में कैसे मिलेगा स्वेटर-

यथार्थ सवाल ये तो बनता है कि मात्र 200 रुपए में कैसे मिलेगा स्वेटर। आपको बता दें कि बेसिक शिक्षा विभाग ने सबसे पहले भारत सरकार के जेम पोर्टल पर टेंडर मांगा था। सूत्रों की मानें तो इसमें करीब 248 रुपये प्रति स्वेटर का रेट मिल रहा था, लेकिन विभाग को यह रेट ही अधिक लगा और उसने यूपी सरकार के ई-टेंडर पोर्टल पर बिड मांगी। 28 दिसंबर को जब बिड खुली तो रेट पहले से भी कहीं अधिक मिले। इसी वजह विभाग को अभी तक इसका समाधान नहीं मिला। सोशल मीडिया पर तो लोग यह भी कह रहे है कि इतने कम रुपए में तो लगता है विद्यालय प्रबंध समिति खुद ही स्वेटर बुनेगी।
समिति के लिए स्वेटर उपलब्ध कराना होगी बड़ी चुनौती-

दरअसल स्कूल प्रबंधन को स्वेटर देने की जिम्मेदारी इसीलिए सौंपी गई है क्योकि बीएसए खुद इतने कम टाइम में 1.5 करोड़ बच्चों के लिए स्वेटर का इंतजाम करने में असफल रहा। बीएसए ने जिस फर्म को स्वेटर देने के लिए तैयार भी किया है वह 15-20 लाख से अधिक स्वेटर देने को राजी नहीं हैं जो संख्या को देखते हुए ऊंठ के मुंह में जीरे जैसा है। अब जब स्कूलों को खुद इसकी जिम्मेदारी दे दी गई है तो भी अड़चनें कम नहीं हैं।
कैसे होगा इंतजाम-

बड़ा सवाल यह भी है। सूत्रों की मानें तो अब शिक्षा विभाग कितनी भी जल्दी कर ले, कड़ाके की सर्दी बीतने के बाद ही बच्चों को स्वेटर मिल पाएंगे। ऐसा मुश्किल है कि किसी फर्म ने डेढ़ करोड़ से ज्यादा स्वेटर पहले से तैयार रखे होंगे। किसी भी फर्म को स्वेटर सप्लाई का आदेश मिलेगा तो वह हर क्लास के बच्चों की संख्या और साइज के हिसाब से स्वेटर बनवाएगी। उसके बाद वह विभाग को सप्लाई करेगी। वहां से स्वेटर जिलों, ब्लॉक और फिर स्कूलों को भेजे जाएंगे, तब जाकर कहीं बच्चों में ये वितरित किए जाएंगे।
मामले ने लिया सियासी रूप-

कड़ाके की ठंड होने के बावजूद स्कूली बच्चों के पास स्वेटर उपलब्ध न होने के मामले ने राजनीतिक रूप भी ले लिया था। बेसिक शिक्षा मंत्री अनुपमा जयसवाल ने तो संकल्प ले लिया था कि जब तक स्कूली बच्चों को स्वेटर नहीं उपलब्ध होंगे तब तक वह खुद स्वेटर नहीं पहनेंगी। इसे विपक्ष ने खोखला संकल्प करार दिया था। वहीं सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने भी स्वेटर वितरण में देरी पर ट्वीट किया था जिसका जवाब देते हुए आज प्रदेश के डीप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या ने कहा कि उनके बच्चों के स्वेटर भेज दिए गए हैं, लेकिन लगता है कि अखिलेश ने बच्चों के पहनाया नहीं है अभी तक।

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