शासनादेश में क्या लिखा है
इस शासनादेश में लिखा गया है कि ‘निम्नलिखित प्रजातियों के वृक्षों को दिनांक 31 दिसंबर 2025 तक, तब तक नहीं काटा जाएगा डह तक कि उत्त वृक्ष सूख ना गया हो, या व्यक्ति या संपत्ति के लिए खतरा पैदा कर रहा हो या सरकार द्वारा अनुमोदित विकास कार्य के निष्पादन के लिए इसका काटा जाना आवश्यक हो या आम (मैगीफरा इण्डिका) वृक्ष की स्थिति में, उसकी फलदायी क्षमता सारभूत रूप से क्षीण हो गई हो और ऐसे वृक्षों को काटने के लिए सक्षम प्राधिकारी से लिखित अनुमति प्राप्त कर ली गई हो।’
सरकार की ओर से जारी शासनादेश में आम (देशी/ तुकमी/ कलमी), नीम, साल और महुआ शामिल है। योगी सरकार का अनोखा आदेश, इन चार पेड़ों को छोड़ बाकी से काटने की रोक हटा दी है। बता दें कि बीते साल ही पूर्व की अखिलेश सरकार के कार्यकाल में 11 जुलाई 2016 को प्रदेश की 6166 जगहों पर करीब 81000 हेक्टेयर में 5 करोड़ पेड़ लगाए गए थे। इसे गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड में शामिल किया गया था और इसकी सराहना की गई थी। यूपी सरकार की इस नई वन नीति से पर्यावरणविद भी हैरान हैं।
बता दे कि हाल ही में हुई योगी कैबिनेट ने किसानों को शोषण से बचाने के लिए नई वन नीति को मंजूरी दे दी थी। राज्य वन नीति 1998 के स्थान पर यह नई वन नीति-2017 लाई गई है। मामले में प्रदेश सरकार के प्रवक्ता श्रीकांत शर्मा का कहना है कि कैबिनेट ने यूपी वृक्ष संरक्षण अधिनियम-1976 तथा इमारती लकड़ी व अन्य वन उपज अपवहन नियमावली-1978 के सरलीकरण करने का फैसला किया है।