यूपी में इन 41 सरकारी विभागों को खत्म करने की तैयारी, सम्बंधित विभागों से मांगे गये सुझाव
- विभागों के पुनर्गठन के लिए गठित कमेटी की सिफारिश पर अमल की तैयारी
- प्रदेश में 95 सरकारी विभागों का पुनर्गठन कर 54 में समायोजित करने का सुझाव

पत्रिका न्यूज नेटवर्क
लखनऊ. उत्तर प्रदेश सरकार प्रशासनिक सुधार के लिए बड़ी योजना बना रही है, जिसके तहत 41 सरकारी विभाग खत्म किए जाएंगे। विभागों के पुनर्गठन के लिए गठित कमेटी की सिफारिश पर सरकार मौजूदा 95 विभागों का पुनर्गठित कर उन्हें 54 विभागों में समायोजित करने पर विचार कर रही है। इसके तहत एक जैसी जिम्मेदारी वाले विभागों को मर्ज किया जाएगा, जबकि एक-दूसरे पर आश्रित तीन-चार विभागों को खत्म करने के बाद एक समग्र विभाग बनाया जाएगा। इसके तहत सम्बंधित विभागों से समीक्षा कर 20 जनवरी तक सुझाव मांगे गये हैं। सरकार का मानना है कि कई सरकारी विभागों में काम कम और कर्मचारी ज्यादा हैं, लेकिन कई विभागों में कर्मचारियों की संख्या कम है। पुनर्गठन के बाद यह विसंगति दूर हो जाएगी। इसके अलावा आला अधिकारियों की सरकारी योजनाओं पर अमल के लिए सीधी जिम्मेदारी तय होगी। साथ ही अनावश्यक खर्च भी बचेगा और एक ही तरह के काम के लिए लोगों को कई दफ्तरों के चक्कर लगाने से मुक्ति मिलेगी।
03 जनवरी 2018 को तत्कालीन अपर मुख्य सचिव संजय अग्रवाल की अध्यक्षता में सूबे में विभागों के पुनर्गठन के लिए कमेटी बनाई थी। कमेटी ने विभागों की संख्या 95 के बजाय 57 तक करने का सुझाव दिया था। कमेटी का मानना है कि पुनर्गठन से न सिर्फ विभागों की संख्या कम होगी, बल्कि काम में भी तेजी आएगी।
कमेटी की सिफारिशों पर अमल करने से पहले बीते वर्ष रेरा के चेयरमैन और पूर्व मुख्य सचिव राजीव कुमार की अध्यक्षता में एक नई कमेटी गठित की गई थी, जिसे आवश्यकतानुसार कर्मचारियों की संख्या घटाने-बढ़ाने, प्रभावशीलता और दक्षता के सुधार पर सुझाव देना था। इस कमेटी ने भी विभागों के पुनर्गठन सम्बंधी संजय अग्रवाल की कमेटी की सिफारिशों पर शीघ्र निर्णय लेने की सिफारिश की थी, जिसके बाद सरकार विभागों को समायोजित करने की सिफारिशों पर विचार कर रही है।
समिति के सुझावों और संस्तुतियों के आधार पर शासन स्तर से अपर मुख्य सचिवों, प्रमुख सचिवों और सचिवों की राय मांगी गई है। कौन विभाग किन विभागों, प्रभागों व संस्थाओं के एकीकरण, समायोजन या विलय सम्बंधी कार्रवाई करेगा। इसकी जानकारी विभागों को दे दी गई है। अफसरों से कहा गया है कि प्राथमिकता पर वे प्रस्तावित कार्यवाही के सम्बंध में वे अपनी आख्या 20 जनवरी तक उपलब्ध कराएं।
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इन विभागों का एकीकरण
जानकारी के मुताबिक, जिन विभागों के कार्य की प्रकृति एक जैसी है उनका एकीकरण किया जाएगा। जैसे समाज कल्याण, पिछड़ा वर्ग कल्याण, अल्पसंख्यक कल्याण, और दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग को एक में समायोजित किया जा सकता है। इसी तरह से अल्पसंख्यक वित्त विकास निगम, पिछड़ा वर्ग वित्त विकास निगम को एससी-एसटी वित्त विकास निगम में एकीकृत किया जाएगा। गन्ना विभाग, सूखा राहत विभाग, कृषि शिक्षा, कृषि अनुसंधान, खाद्य एवं प्रसंस्करण विभाग को कृषि विभाग में, सैनिक कल्याण और बाल कल्याण विभाग को परिवार कल्याण विभाग में, स्टांप, मनोरंजन कर, किराया नियंत्रण सहित बांट-माप महकमे को राजस्व विभाग में मर्ज किया जाएगा। इसी प्रकार ग्रामीण उद्योग विभाग, दुग्ध विकास विभाग, ग्रामीण उर्जा विभाग को ग्रामीण विकास विभाग में समायोजित किया जाएगा।
कर्मचारियों के हित पर नहीं पड़ेगा असर
विभागों को समायोजित करने से किसी सरकारी कर्मचारी के हित पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा। बदलेगा तो सिर्फ दफ्तर का नाम-पता। जानकारी के मुताबिक, अलग-अलग विभागों के वेतन-भत्तों के अंतर की स्थिति में सरकार ने तय किया है कि कर्मचारी का पदनाम यथावत रहेगा, साथ ही उसे मिलने वाले वेतन-भत्ते भी खत्म नहीं होंगे। नियमानुसार, कर्मचारी तयशुदा जिम्मेदारी के तहत जिस-जिस भत्ते का हकदार होगा, उसे वह मिलता रहेगा।
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