शहरों के नाम बदले जाने को लेकर विपक्ष ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सरकार सूबे के जरूरी मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है। समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता अनुराग भदौरिया ने कहा कि बीजेपी वाले ‘काले अंग्रेज’ हैं। भाजपा वाले विकास की नहीं नाम बदलने की राजनीति कर रहे हैं। ये नाम बदलेंगे, आगामी चुनाव में जनता इन्हें बदल देगी। उन्होंने कहा कि सरकार सकारात्मकता से काम करे। कांग्रेस प्रवक्ता अंशू अवस्थी ने बीजेपी को नसीहत देते हुए कहा कि भाजपा वाले नाम और रंगों का राजनीति न करें, जिसके लिए जनता ने चुना था उसकी बात करें। विकास कर किसी भी शहर की पहचान बदली जा सकती है नाम बदलकर नहीं। उन्होंने कहा कि लॉ एंड ऑर्डर, महंगाई और बेरोजगारी को रोकने में पूरी तरह विफल है।
ऐसा पहली बार नहीं है, जब उत्तर प्रदेश की सरकारें अपने पसंदीदा महापुरुषों के नाम पर नामकरण करती रही हैं। इससे पहले भी समाजवादी पार्टी और बसपा की सरकारें एक-दूसरे के रखे हुए नामों को बदलती रही हैं। मायावती ने अमेठी को जिला बनाकर उसका नाम छत्रपति शाहूजी नगर कर दिया था। मुलायम आए तो उन्होंने मायावती का फैसला रद्द कर दिया। फिर मायावती आईं तो उन्होंने पुराना फैसला लागू कर दिया। 2012 में जब अखिलेश आए तो उन्होंने शाहूजी का नाम बदलकर अमेठी कर दिया। यही नहीं उन्होंने मायावती के रखे हुए सभी जिलों के नाम बदल दिए थे। मिसाल के लिए उन्होंने प्रबुद्ध नगर का नाम शामली। भीम नगर का नाम बहजोई, पंचशील नगर का नाम हापुड़, ज्योतिबा फुले नगर का नाम अमरोहा, महामाया नगर का नाम हाथरस, कांशीराम नगर का नाम कासगंज, रमाबाई नगर का नाम कानपुर देहात और छत्रपति शाहूजी महाराज नगर का नाम या था। अब योगी सरकार भी अपनी पसंद के महापुरुषों के नाम पर नामकरण कर रही है।