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जबरन रिटायर किए गए आईपीएस अमिताभ ठाकुर ने सरकार को पूर्व में लिखा पत्र किया सार्वजनिक, कहा – सच हुई मेरी बात

locationलखनऊPublished: Mar 24, 2021 06:28:46 pm

Submitted by:

Abhishek Gupta

पत्र शेयर करते हुए अमिताभ ठाकुर (Amitabh Thakur) ट्वीट करते हैं कि जबरिया सेवानिवृति के संबंध में सरकार को लिखा उनका पत्र आज अत्यंत प्रासंगिक दिखता है।

Amitabh Thakur

Amitabh Thakur

पत्रिका न्यूज नेटवर्क.

लखनऊ. यूपी सरकार (UP Government) द्वारा जबरन रिटायर (Compulsory Retirement) किए जाने के बाद 1993 बैच के आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर (Amitabh Thakur) ने सरकार को भेजा गया अपना एक पुराना पत्र सोशल मीडिया पर शेयर किया है। इस पत्र के अनुसार वह पहले ही इस कार्यवाही के बारे में जानते थे। पत्र शेयर करते हुए वह ट्वीट करते हैं कि जबरिया सेवानिवृति के संबंध में सरकार को लिखा उनका पत्र आज अत्यंत प्रासंगिक दिखता है।
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दिसंबर, 2019 को लिखा था पत्र-

दिसंबर, 2019 को अमिताभ ठाकुर ने यह पत्र सरकार को लिखा था। उसमें उन्होंने लिखा था कि उन्हें विश्वस्त सूत्रों से पता चला है कि उनके कथित रूप से असुविधाजनक तथा अप्रिय होने, ‘मुकदमेबाज’ होने, आपराधिक वाद दायर करने अथवा प्रशासनिक कार्रवाई करने की मांग करने के कारण उन्हें अत्यंत उच्चस्तरीय दवाब में अनिवार्य सेवानिवृति देकर नौकरी से अलग करने के उच्चस्तरीय मौखिक निर्देश हुए हैं, जिसका शीघ्र क्रियान्वयन होगा।
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https://twitter.com/Amitabhthakur/status/1374601663609151493?ref_src=twsrc%5Etfw
कार्यवाही को बताया गलत-

अमिताभ ठाकुर ने अपने खिलाफ होने वाली इस कार्यवाही को घोर अन्यायपरक और मनमाना बताया है। उन्होंने लिखा कि इसका उद्देश्य प्रशासनिक व्यवस्था में अवांछित कर्मी को अलग करना नहीं बल्कि इस प्रावधान का गलत प्रयोग करते हुए व्यवस्था में ताकतवर स्थानों पर बैठे तमाम व्यक्तियों के लिए असुविधाजनक तथा अप्रिय व्यक्ति को व्यवस्था से अलग करना होगा, जो अनुचित उद्देश्य से संचालित होगा। उन्होंने अपने ऊपर लगे आरोपों को सिरे से खारिज किया है। उन्होंने कहा है कि जो भी विभागीय कार्यवाहियां शुरू की गई है, उनमें खोज-खोज कर आरोप लगाए गए हैं। कुछ आरोप तो प्राथमिक स्तर पर ही असत्य हैं। ठाकुर ने खुद पर फर्जी ढंग से विभागीय कार्रवाई शुरू करने और उन्हें लम्बे समय तक जानबूझ कर लंबित रखे जाने की बात भी कही थी।
अमिताभ ने कहा था कि वे किसी भी प्रकार से सेवा के लिए अवांछित कर्मी नहीं हैं, बल्कि यह संभव है कि वे व्यवस्था में बैठे ताकतवर लोगों के लिए असुविधाजनक तथा अप्रिय हों।
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