बुदेलखंड के सबसे पिछड़े जिले बांदा में 19250 वोट नोटा को गये हैं। जबकि झांसी में 18239, हमीरपुर में 15155, जालौन में 12514 वोट नोटा को डाले गए हैं। श्रावस्ती में 17108 नोटा के खाते में गये हैं। वहीं सबसे कम जौनपुर में 2441 लोगों ने नोटा के पक्ष में अपने मताधिकार का प्रयोग किया। इसी तरह बरेली में 3824,
अमेठी में 3940, वाराणसी में 4037 व कानपुर में 4057 लोगों ने नोटा के पक्ष में वोट दिया है। अमेठी और वाराणसी में नोटा के पक्ष में मतदान यह बताता है कि मतदाताओं को राहुल गांधी और पीएम नरेंद्र मोदी जैसे नेता भी पसंद नहीं थे।
ये भी पढ़ें- चुनाव खत्म होते ही सीएम योगी ने यूपी के इन बड़े प्रोजेक्ट्स को पूरा करने का उठाया बीड़ा, लखनऊ व पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र है प्राथमिकता नोटा यानी नन ऑफ द अबव (none of the above) पर 2019 के लोकसभा चुनाव में पूरे देश में 62 लाख से ऊपर मतदान हुआ। इस मामले में बिहार पहले पायदान पर है। बिहार में आठ लाख से ज्यादा लोगों ने नोटा को वोट किया है। वहीं दूसरे स्थान पर उत्तर प्रदेश रहा, जहां सात लाख से ऊपर नोटा को मतदान हुआ। तीसरे स्थान पर महाराष्ट्र रहा है। यह आंकड़ा पिछले लोकसभा चुनाव से ज्यादा है। पिछले चुनाव में करीब 60 लाख यानी 1.08 फीसदी मतदाताओं के इस विकल्प को चुना था।
इन राज्यों में दिखी नोटा की ताकत
लोकसभा चुनाव 2019 में करीब 0.98 फीसदी मतदाताओं ने नोटा का बटन दबाया है। यूपी में 0.88 फीसदी वोट नोटा पर पड़े हैं। वहीं उत्तराखंड की पांच सीटों पर हुए चुनावों में जनता ने भाजपा और कांग्रेस के बाद नोटा का प्रयोग किया। गुजरात में भाजपा, कांग्रेस और अन्य के बाद चौथा सबसे बड़ा वोट शेयर नोटा को मिला है। यहां नोटा पर 1.38 प्रतिशत वोट मिले हैं, जबकि बसपा को 0.86, सीपीआई को 0.02 और एनसीपी को 0.09 प्रतिशत वोट मिले हैं। हिमाचल के चार लोकसभा क्षेत्रों में कुल 32547 मतदाताओं में इस बार नोटा का बटन दबाया। वहीं मध्य प्रदेश में 0.92, प. बंगाल में 0.96, हरियाणा में 0.33, नगालैंड में 0.19, दिल्ली में 0.53, महाराष्ट्र में 0.90, कर्नाटक में 0.71, जम्मू-कश्मीर में 0.65 फीसदी वोट पड़े हैं।