इस कार्यक्रम को ऐतिहासिक बनाने के लिए अतिपिछड़ी जातियों के शीर्ष प्रतिनिधियों ने सिंचाई मंत्री धर्मपाल सिंह को कार्यक्रम का संयोजक बनाया है। इसके साथ ही अति पिछड़ी जातियों में से अलग-अलग जातियों के 30 प्रतिनिधियों को सहसंयोजक बना कर तैयारी की जा रही है। अति पिछड़ी जाति से जुड़े निषाद समजा के एक समाजसेवी का कहना है कि यूपी की लोधी, मल्लाह, कश्यप, बिंद, निषाद, पथडिय़ा, मथुरिया, सनकत्ता, राजपूत, चंद्रवंशी, खडग़वंशी और रायकवाड़ जातियों में आपस में काफी करीबी रिश्ते रहते हैं। ये सभी जातियां अलग-अलग खेमों में बंटी हैं। भाजपा का मकसद इन जातियों को सियासी तौर पर एकजुट करना और उनका समर्थन पाना है।
सम्मेलन से जुड़े लोगों का दावा है कि आमतौर पर ओबीसी में केवल यादव जाति के लोग ही ज्यादा लाभांवित होते रहे हैं। अब पिछड़ा वर्ग आयोग को केन्द्र सरकार ने संवैधानिक दर्जा दिया है। ऐसे में अब सभी पिछड़ी जातियों को इसका लाभ मिल सकेगा।
समय मिलने पर की जाएगी रैली की घोषणा
रैली के लिए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से समय मिलने के बाद ही तारीख की घोषणा की जाएगी। सूत्रों की मानें तो अमित शाह को अक्टूबर में उनका अभिनंदन किए जाने की जानकारी दे दी गई है। अब उनसे समय मिलते ही कार्यक्रम के तारीख की घोषणा कर दी जाएगी।
राजधानी में होगी रैली
सूत्रों की मानें तो रैली राजधानी लखनऊ में आयोजित की जाएगी। इस रैली में लोधी, मल्लाह, कश्यप, बिन्द, निषाद, किसान, पथडिय़ा, मथुरिया, सनकत्ता, राजपूत, चन्द्रवंशी, खडग़वंशी तथा रायकवाड़ आदि जातियों के लोगों को बुलाया जाएगा। अगर भाजपा ने इन जातियों पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली तो इसका लाभ पार्टी को 2019 के लोकसभा चुनाव में जरूर मिलेगा।