पद को लेकर असमंजस में डीजीपी
30 सितंबर को डीजीपी सुलखान सिंह के रिटायर होने का चर्चा जोरो पर है। लेकिन कहा जा रहा है कि शासन की तरफ से उन्हें सेवा विस्तार मिलेगा। हालांकि डीजीपी सुलखान सिंह ने सेवा विस्तार की बात पर अपने बयान से सारी अफवाहों पर लगाम लगा ली है। दरअसल उन्होंने साफ कर दिया है कि वह इस पर कुछ नहीं कहेंगे। उन्होंने कहा कि लोग (शासन) विचार कर रहे होंगे। लेकिन उनसे कभी सेवा विस्तार के बारे में कुछ भी नहीं कहा है। इसलिए वह इस विषय पर कुछ कहने से भी बच रहे हैं। सूत्रों द्वारा बताया जा रहा है कि डीजीपी अपने समय पर रिटायरमेंट लेने के विचार में हैं। फिलहाल 30 सितंबर तक उनका पूरा ध्यान यूपी की कानून-व्यवस्था और पुलिसकर्मियों की समस्याओं को दूर करने पर है।
नए डीजीपी के लिए चल रही मैराथन बैठक
बताया जा रहा है कि डीजीपी सुलखान सिंह के सेवा विस्तार पर असमंजस को देखते हुए शासन में नए डीजीपी के लिए वरिष्ठ और अनुभवी आईपीएस के नाम पर विचार शुरू हो चुका है। पूर्व की सरकार में वरिष्ठता के क्रम की अंदेखी की गई, लेकिन इस पर ऐसे होने की संभाना कम है। फिलहाल वरिष्ठता के आधार पर 1982 बैच के दो आईपीएस ऑफिसर डीजीपी पद के प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं। पहला नाम 1982 बैच के आईपीएस प्रवीण सिंह वर्तनाम में डीजीपी फायर और दूसरा इसी बैच के आईपीएस सूर्य कुमार शुक्ल वर्तमान में डीजी होमगार्ड हैं। डीजी सूर्य कुमार शुक्ल ने हाल में ही होमगार्ड विभाग की कमान संभाली है और काफी प्रभावी काम करते नज़र आ रहे हैं। इसके अलावा 1983 बैच के आईपीएस राजीव राय भटनागर, आईपीएस गोपाल गुप्ता, आईपीएस अोम प्रकाश सिंह, 1984 बैच के आईपीएस रजनीकांत मिश्रा भी डीजीपी पद की दौड़ में शामिल हैं। हालांकि इसी बैच के पूर्व डीजीपी जावीद अहमद को दोबार वरिष्ठा क्रम के बावजूद अनदेखा किया जा सकता है।
वर्तमान डीजीपी का असर
डीजीपी सुलखान सिंह के पद संभालने के यूपी में एक बार फिर यूपी में एनकाउंटर का दौर शुरू हुआ। उन्हें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपराधियों को कैसे भी काबू करने के लिए छुट दी। इसका असर बीते महीनों में साफ देखने को मिला कि गत छह माह में ही करीब 422 से ज्यादा पुलिस की बदमाशों के साथ मुठभेड़ हुए। इनमें 16 कुख्यात मार गिराए गए। इससे इस मुहिम पर असर पड़ सकता है। उन्होंने अप्रैल में ही डीजीपी पदभार संभाला था।