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यूपी में पेंशनर्स के लिए लागू हुआ ये नया नियम, योगी सरकार ने जारी किया आदेश

locationलखनऊPublished: Mar 02, 2021 12:06:29 pm

UP Pensioners: योगी सरकार की तरफ से लागू अध्यादेश के मुताबिक नियमित किए जाने की तारीख से ही राज्य कर्मचारी के पेंशन सेवा की गणना की जाएगी।

यूपी में पेंशनर्स के लिए लागू हुआ ये नया नियम, योगी सरकार ने जारी किया आदेश

यूपी में पेंशनर्स के लिए लागू हुआ ये नया नियम, योगी सरकार ने जारी किया आदेश

लखनऊ. UP Pensioners: उत्तर प्रदेश में राज्य कर्मचारियों की पेंशन के लिए अर्हकारी सेवा को परिभाषित करने वाला उत्तर प्रदेश पेंशन हेतु अर्हकारी सेवा एवं विधिमान्यकरण अध्यादेश-2020 को लागू कर दिया गया। इस अध्यादेश के उपबंध 1 अप्रैल 1961 से प्रभावी किए गए हैं। योगी सरकार की तरफ से लागू अध्यादेश के मुताबिक नियमित किए जाने की तारीख से ही राज्य कर्मचारी के पेंशन सेवा की गणना की जाएगी।

 

 

शासनादेश हुआ जारी

अपर मुख्य सचिव वित्त एस. राधा चौहान ने अध्यादेश लागू किए जाने से संबंधित शासनादेश को जारी कर दिया है। शासनादेश सभी विभागों के अध्यक्षों को भेजा गया है। शासनादेश के मुताबिक विभिन्न कारणों से पिछले वर्षों में तदर्थ, कार्य प्रभारित और सीजनल आधार पर कर्मचारियों की नियुक्ति हुई है। ऐसे कर्मचारियों को राज्य सरकार द्वारा विधिवत विनियमित कर दिए जाने की तारीख से उनकी नियमित सेवा शुरू होती है। इस प्रकार अर्हकारी सेवा का आगणन विनियमितिकरण की तारीख से करते हुए सेवानिवृत्ति का लाभ अनुमन्य किया जाता है।

 

 

विभागाध्यक्षों को दिया गया आदेश

वहीं कुछ समय से कर्मचारियों द्वारा केस दर्ज किए जा रहे हैं कि विनियिमितिकरण के पहले की उनकी तदर्थ, कार्य प्रभारित, सीजनल सेवाओं को जोड़ते हुए सेवानिवृत्ति के लाभ अनुमन्य किए जाएं। ऐसे सभी प्रकार के केसों में राज्य सरकार की तरफ से दाखिल किए जाने वाले प्रति शपथपत्रों में इस अध्यादेश की व्यवस्था न्यायालयों में स्पष्ट रूप से रखी जाए। विभागाध्यक्षों को आदेश दिया गया है कि इस तरह के सभी मामलों में उत्तर प्रदेश पेंशन हेतु अर्हकारी सेवा एवं विधिमान्यकरण अध्यादेश-2020 को राज्य सरकार की तरफ से प्रतिवाद करने का प्रमुख आधार बनाया जाए। इसके अलावा जिन मुकदमों में प्रति शपथपत्र बिना अध्यादेश के उल्लेख के दाखिल किए जा चुके हैं उनमें पूरक प्रति शपथपत्र दाखिल किया जाए। जिन मुकदमों में राज्य सरकार के नियमों के प्रतिकूल आदेश न्यायालयों ने पारित किए हैं, उन वादों में पुनर्विचार याचिका, विशेष अपील, विशेष अनुज्ञा याचना, क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल की जाए।

 

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