लखनऊ

NRC की तर्ज पर अब यूपी से भी खदेड़े जाएंगे अवैध रूप से रह रहे विदेशी घुसपैठिये, जारी हुआ बड़ा आदेश

– उत्तर प्रदेश में अवैध रूप से रह रहे विदेशियों को चिह्नित करने का अभियान शुरू- डीजीपी ऑफिस से सभी जिलों के कप्तान, आइजी, डीआइजी को भेजा मसौदा

लखनऊOct 01, 2019 / 04:26 pm

Hariom Dwivedi

डीजीपी ओपी सिंह (DGP OP Singh) ने कहा कि अवैध तरीके से रह रहे बांग्लादेशी व अन्य विदेशी नागरिकों को चिन्हित कर उसका सत्यापन कराया जा रहा है

लखनऊ. उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार (Yogi Adityanath Sarkar) ने भी अब नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजंस (NRC) लागू करने की दिशा में कदम बढ़ा दिये हैं। मंगलवार को डीजीपी ऑफिस (DGP Office) ने प्रदेश के सभी जिलों के कप्तान, आइजी, डीआइजी, एडीजी जोन को एक पत्र भेजकर अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी व अन्य विदेशी नागरिकों को चिह्नित करने का निर्देश जारी किया है। पुलिस अधीक्षकों को भेजे गये मसौदे में कहा गया है कि रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, रोड किनारे और उसके आसपास बसी नई बस्तियों की पहचान की जाये। अभियान के दौरान इन स्थानों पर विशेष सतर्कता बरती जाए और वीडियो रिकॉर्डिंग भी कराई जाए। इन स्थानों पर संदिग्ध लोगों के सत्यापन के दौरान यदि कोई व्यक्ति अपना पता किसी अन्य जिले या राज्यों में बताता है तो उसका डाटा तैयार किया जाएगा। इसके साथ ही उस जिले व राज्य से उस व्यक्ति का सत्यापन भी कराया जाए। इसके साथ ही ऐसे विदेशियों के फिंगर प्रिंट लेकर ब्यूरो को भेजे जाएं और इसका अलग से जिला वार डेटाबेस तैयार किया जाए।
डीजीपी ओपी सिंह (DGP OP Singh) ने कहा कि अवैध तरीके से रह रहे बांग्लादेशी व अन्य विदेशी नागरिकों को चिन्हित कर उसका सत्यापन कराया जा रहा है। इस दौरान अगर कोई खुद किसी अन्य जनपद का निवासी बताता है तो उस जिले से भी सत्यापन कराया जाएगा। सत्यापन के कार्य में लापरवाही बरतने वालों पर कठोर कार्रवाई की चेतावनी दी गई है। डीजीपी (DGP) ने कहा कि एनआरसी (NRC) से इसका कोई लेना-देना नहीं है। आंतरिक सुरक्षा को प्रभावी बनाने के लिए इस अभियान को त्यौहारों से पहले शुरू करने की जरूरत बताई गई है। मसौदे में यह भी कहा गया है कि इस सूची में कई ऐसे व्यक्ति भी हो सकते हैं जो किसी जिले के फरार अपराधी हों। उनकी पहचान त्रिनेत्र एप (Trinetra App) से कराई जाएगी।
जिला पुलिस प्रमुखों को भेजे गए निर्देश में डीजीपी (DGP) ने कहा कि यह पता चला है कि बांग्लादेशी अवैध रूप से राज्य में रह रहे हैं और उनमें से कई लापता हो गए हैं। राज्य की आंतरिक सुरक्षा को मजबूत करने के लिए यहां रहने वाले बांग्लादेशियों और अन्य विदेशियों की पहचान करना और उन्हें सत्यापित करना आवश्यक है। उन्होंने निर्देश दिया है कि यह भी पता लगाया जाना चाहिए कि यहां रहने के लिए विदेशियों ने राशन कार्ड, वोटर आइडी कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस और पासपोर्ट जैसे कौन-कौन से दस्तावेज हासिल किये हैं।
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मसौदे के प्रमुख बिंदु
– बांग्लादेशी या अन्य विदेशी नागरिकों द्वारा अपने प्रवास को विनियमित करने के लिए कौन-कौन से अभिलेख प्राप्त कर लिए गए हैं? इनमें राशन कार्ड, वोटर लिस्ट, ड्राइविंग लाइसेंस, शस्त्र लाइसेंस, पासपोर्ट व आधार कार्ड हो सकते हैं।
– फर्जी अभिलेखों तथा सुविधाओं के बारे में जांच पूरी होने पर उनके निरस्तीकरण की कार्रवाई प्राथमिकता के आधार पर की जाए। जिन लोगों ने बांग्लादेशी या अन्य विदेशी नागरिकों को भारतीय नागरिकता दिलाने में सहायता की है, उन पर भी कार्रवाई हो।
– अवैध तरीके से आवासित बांग्लादेशी नागरिकों एवं अन्य विदेशी नागरिकों के फिंगर प्रिंट प्राप्त कर उन्हें राज्य फिंगर प्रिंट ब्यूरो भेजा जाए, जहां जिला के आधार पर कंप्यूटराइज्ड डेटाबेस तैयार किया जाए।
– विभिन्न व्यवसायों में लगे पुरुष/महिलाओं के आईडी प्रूफ का डेटाबेस कंस्टक्शन कंपनियों या अन्य व्यवसायी संस्थानों को अपने पास रखना होगा, जिसका पुलिस से सत्यापन भी कराना अनिवार्य है।
मुख्यमंत्री ने कहा था- जरूरत पड़ी तो लागू करेंगे एनआरसी
असम राज्य में एनआरसी के लागू होने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) ने स्पष्ट कहा था कि यदि आवश्यकता पड़ी तो अभियान चलाकर उत्तर प्रदेश में भी इसे लागू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि देश में एनआरसी को चरणबद्ध तरीके से लागू करना जरूरी है। असम में जिस तरह से एनआरसी को लागू किया गया है। यूपी के लिए वह एक उदाहरण हो सकता है। देश-प्रदेश की सुरक्षा के लिहाज से यह बेहद महत्वपूर्ण है। असम में एनआरसी लागू करने के लिए हमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को बधाई देनी चाहिए।

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