प्राइमरी स्कूलों में शिक्षकों, छात्रों की उपस्थिति से लेकर मिड डे मील तक की निगरानी भी प्रेरणा ऐप व प्रेरणा वेब पोर्टल के माध्यम से की जाएगी। इतना ही नहीं, स्कूलों का निरीक्षण करने वाले अधिकारियों को भी पोर्टल और ऐप पर अपनी फोटो अपलोड करनी होगी। सरकार के इस नियम को तुगलकी बताते हुए शिक्षक संघों ने अपने सदस्यों यानी प्राइमरी शिक्षकों से कहा है कि वे अपने मोबाइल पर इस ऐप को इंस्टॉल ही नहीं करें। प्रेरणा ऐप में स्कूलों की प्रार्थना सभा से लेकर खेलकूद, यूनिफ़ॉर्म वितरण सहित सभी गतिविधियों की फ़ोटो भी अपलोड करने को कहा गया है।
जानिए क्यों बदले गए नियम
हाल ही में मिर्ज़ापुर से एक स्कूल में बच्चों को नमक-रोटी परोसे जाने के बाद मचे बवाल के बाद यह तथ्य सामने आया कि गांवों के स्कूलों में शिक्षक कभी-कभार ही आते जाते हैं। इसके चलते न केवल पढ़ाई बल्कि मिड डे मील की गुणवत्ता भी प्रभावित होती है। शहरी क्षेत्र के स्कूलों से ज़्यादा बुरा हाल गांवों का है जहां शिक्षकों के नहीं, बल्कि सहायता के लिए रखे गए शिक्षामित्रों के भरोसे पूरी पढ़ाई और स्कूलों का कामकाज चल रहा है। प्रेरणा ऐप जारी करने और इसके ज़रिए उपस्थिति को अनिवार्य करने के पीछे सरकार की मंशा यही है कि 40 से 50000 रुपये की पगार पाने वाले शिक्षक स्कूल जाएं और मिड डे मील से लेकर हर चीज उनकी निगरानी में बटे। सर्व शिक्षा अभियान के निदेशक विजयकिरन आनंद का कहना है कि परिषदीय स्कूलों व कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों में विद्यार्थियों के लर्निंग आउटकम का आंकलन भी इस पोर्टल के माध्यम से किया जा सकेगा।
प्रेरणा ऐप पर महिला शिक्षकों ने कहा यह
उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ ने शिक्षकों से ऐप इंस्टॉल नहीं करने और ऐप के जरिए किसी प्रकार की गतिविधि में सहयोग नहीं करने की अपील की है। संघ ने कुछ दिनों पहले शिक्षक दिवस को ‘शिक्षक सम्मान बचाओ दिवस’ के रूप में मनाया और बेसिक शिक्षा कार्यालयों पर प्रदर्शन भी किया। प्रदेश की राजनीति में ताक़तवर माध्यमिक शिक्षक संघ भी प्रेरणा ऐप के विरोध में उतर आया है। संघ के प्रदेश महामंत्री डॉ. आर.पी. मिश्रा ने कहा कि शिक्षकों से अपील की गई है कि ऐप डाउनलोड न करें और अगर दबाव बनाया जाता है तो 13 सितंबर से धरना-प्रदर्शन शुरू किया जाएगा। प्रदेश की महिला शिक्षकों का कहना है कि पहले से उत्पीड़न की शिकार हो रही शिक्षिकाओं पर प्रेरणा ऐप से दबाव बढ़ेगा। गर्भवती होने पर छुट्टी की मंज़ूरी से लेकर ज़रूरी काम के लिए अवकाश तक नहीं दिया जाता है। ऐसे में प्रेरणा ऐप से तो महिला शिक्षकों की मुसीबतें और ज्यादा बढ़ जाएगी।।
प्रेरणा ऐप से परिषदीय स्कूलों की बढ़ेगी विश्वसनीयता
शिक्षामित्र संघ के अध्यक्ष जितेंद्र शाही का कहना है कि प्रेरणा ऐप से स्कूलों की स्थिति में सुधार आएगा और शिक्षा की गुणवत्ता भी बढ़ेगी। बीटीसी संघ के अध्यक्ष अनिल यादव ने कहा कि प्रेरणा ऐप से परिषदीय स्कूलों की विश्वसनीयता बढ़ेगी। वित्तविहीन शिक्षक महासंघ के महामंत्री व प्रमुख शिक्षक नेता अजय सिंह एडवोकेट का कहना है कि प्रेरणा ऐप लागू करने से पहले शिक्षकों को टैबलेट दिए जाएं और कभी-कभार लेट होने या किसी कारणवश न पहुंच पाने वाले शिक्षकों को छूट दी जाए। महिला शिक्षकों का मुद्दा उठाते हुए उन्होंने कहा कि बेसिक शिक्षा विभाग में गर्भवती होने पर या बीमार पड़ने पर छुट्टी की मंज़ूरी तक में पैसा लिया जाता रहा है। पहले इस व्यवस्था को ठीक किया जाना चाहिए।
अगले 6 महीनों में दूर हो जाएंगी परेशानियां
प्रेरणा ऐप को लेकर शिक्षकों की शिकायतों पर प्रदेश सरकार का कहना है कि अगले 6 महीनों में होने वाली जो कुछ जरूरी दिक्कतें सामने आएंगी जिसे दूर किया जाएगा। शिक्षकों के पास स्मार्ट फ़ोन न होने पर बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी ने कहा कि अगले 6 महीने में सभी को टैबलेट दे दिए जाएंगे जिससे वे न केवल इस ऐप का संचालन करेंगे बल्कि पोर्टल से ख़ुद को भी अपडेट कर सकेंगे। इसके साथ ही वेब पोर्टल के माध्यम से एक स्कूल के शिक्षक को दूसरे स्कूल में हो रहे नए प्रयोगों का भी पता चलने से प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और क्वालिटी में सुधार आ सकेगा।