असमायोजित शिक्षक उत्थान समिति के प्रदेश अध्यक्ष शिव किशोर द्विवेदी ने बताया कि लंबे समय से हमारी मांगों की अनदेखी की जा रही है। ज्ञापन में मृतक शिक्षा मित्रों के आश्रितों को आर्थिक मदद देने, समायोजित शिक्षा मित्रों को उनके ऐच्छिक और महिला शिक्षा मित्रों को उनके ससुराल के पास विद्यालय में तैनाती देने, न्यूनतम 24000 रुपये प्रति माह मानदेय देने की मांग की गई। इस दौरान संगठन के महामंत्री अमरदीप, मोहित तिवारी, अजीत राजूपत, ममता राजपूत, सुमन देवी, कनकलता, जीत लाल, संजय शर्मा, अशोक यादव, राज किशोर, महेश कुमार और अन्य शिक्षा मित्र भी मौजूद रहे।
शिक्षामित्रों के अनुसार उनके साथ जो कुछ भी हो रहा है, वह पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित है. एक सरकार ने नियुक्ति दी तो दूसरे ने समायोजन रद्द कर दिया. मालूम हो कि 25 जुलाई, 2017 को आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सरकार ने सूबे के करीब 1 लाख 37 हजार शिक्षामित्रों का समायोजन रद्द किया था.
सरकार से ये थी मांग शिक्षामित्रों ने टीईटी से छूट दिलाने, ‘समान कार्य समान वेतन’ की तर्ज पर मानदेय बढ़ाने और अध्यादेश जारी कर उनकी समस्या के स्थायी समाधान का रास्ता निकालने की मांग की । सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद समायोजन की मांग को लेकर शिक्षा मित्र आंदोलनरत हैं। पिछले दिनों उन्होंने विधानसभा के सामने धरना-प्रदर्शन किया था। इस दौरान लाठीचार्ज भी हुआ था। इसके बाद शिक्षामित्रों ने व्यापक आंदोलन की घोषणा की थी। सरकार से बातचीत भी हुई लेकिन उचित मानदेय न देने पर वार्ता विफल हो गई।
सुप्रीम कोर्ट ने दिया था विकल्प
अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने समायोजित शिक्षकों को टीईटी परीक्षा पास करने का विकल्प दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए समायोजन रद्द करने का निर्णय सुनाया था। इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट समायोजन को नियम विरुद्ध करार दे चुका है। समायोजन के बाद शिक्षा मित्र से सहायक अध्यापक बने अभ्यर्थियों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ प्रदेश सरकार से कुछ कदम उठाने की मांग की थी लेकिन सरकार के साथ शिक्षा मित्रों की बात नहीं बनी।
अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने समायोजित शिक्षकों को टीईटी परीक्षा पास करने का विकल्प दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए समायोजन रद्द करने का निर्णय सुनाया था। इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट समायोजन को नियम विरुद्ध करार दे चुका है। समायोजन के बाद शिक्षा मित्र से सहायक अध्यापक बने अभ्यर्थियों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ प्रदेश सरकार से कुछ कदम उठाने की मांग की थी लेकिन सरकार के साथ शिक्षा मित्रों की बात नहीं बनी।