काकोरी लूट कांड की भनक अंग्रेज़ों के ख़ुफ़िया सूत्रों को नहीं लग पाई थी क्यूंकि क्रांतिकारी चन्द्र शेखर आज़ाद इस लूट काण्ड को अंजाम देने के लिए पत्राचार के दौरान कोड वर्ड का प्रयोग कर रहे थे
kakori loot kand
संतोषी दास
लखनऊ.क्रांतिकारियों ने आज़ादी के आंदोलन को गति देने के लिए सरकारी खज़ाना लूटने की प्लानिंग की थी उसमें चन्द्र शेखर आज़ाद का अहम योगदान था। काकोरी लूट कांड की भनक अंग्रेज़ों के ख़ुफ़िया सूत्रों को नहीं लग पाई थी क्यूंकि क्रांतिकारी चन्द्र शेखर आज़ाद इस लूट काण्ड को अंजाम देने के लिए पत्राचार के दौरान कोड वर्ड का प्रयोग कर रहे थे। उस लूट के लिए तैयारी कर रहे फ्रीडम फाइटर आज़ाद द्वारा कोड वर्ड में लिखा गया एक पत्र सामने आया है। यह पत्र लखनऊ के महानगर स्थित राज्य अभिलेखागार उत्तर प्रदेश में रखा गया है।
राज्य अभिलेखागार उत्तर प्रदेश के संयुक्त निदेशक महेंद्र ने बताया की उनके पास काकोरी लूट कांड के दस्तावेज़ रखे हैं। इसमें कई दस्तावेज़ उन दिनों के सीआईडी के हैं । कई स्वतंत्रा सेनानियों द्वारा काकोरी कांड को अंजाम देने के लिए कोड भाषा में प्रयोग किये गए पत्र हैं। इन पत्रों को अभिलेखागार संजोय हुआ है।
धोती और लंगोट कोड वर्ड अभिलेखगार में चन्द्र शेखर आज़ाद द्वारा लिखा गया वह पत्र मौजूद है जिसका इस्तेमाल काकोरी लूट कांड में अहम माना गया था। इस पत्र के साथ ही लूट कांड की तैयारी गुपचुप तरीके से शुरू हो रही थी। इस पत्र में आज़ाद ने दो धोती और लंगोट देने की बात कही है। अभिलेखागार के संयुक्त निदेशक का मानना है की चिट्टी में लिखा गया धोती और लंगोट शब्द कोड वर्ड की तरह प्रयोग किया गया था।
काकोरी कांड का इतिहास क्रांतिकारियों द्वारा चलाये जा रहे आज़ादी के आंदोलन को गति देने के लिए धन की जरुरत थी। धन कहां से आये इसके लिए शाहजहांपुर में बैठक हुई। इसमें राम प्रसाद बिस्मिल ने अंग्रेज़ों का खज़ाना लूटने की योजना बनाई। इस योजना के अनुसार दल के ही एक प्रमुख सदस्य राजेंद्रनाथ लाहिड़ी ने सहारनपुर-लखनऊ पैसेंजर को 19 अगस्त 1925 में ट्रेन की चैन खींच कर ट्रेन रुकवाई। इसके बाद अशफाक उल्ला खां, राम प्रसाद बिस्मिल, चन्द्रशेखर आज़ाद और उनके सहयोगियों ने काकोरी में ट्रेन में रखा खज़ाना लूट लिया। इस घटना के बाद अंग्रेज़ों ने सरकारी खज़ाना लूटने और मुसाफिरों की ह्त्या करने का मुकदमा क्रांतिकारियों पर चलाया। जिसमें राजेंद्रनाथ लाहिड़ी, राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां और ठाकुर रोशन सिंह को मृत्यु दण्ड की सजा सुनाते हुए फांसी की सजा दी। यह भी पढ़ें हवन करके मनाया गया शहीद राम प्रसाद बिस्मिल का जन्मदिन