दूसरे गाड़ी मालिक को मिलते ही बोली लगाने वाले आवेदक के होश उड़ गए। ट्रांसपोर्टनगर आरटीओ कार्यालय पर पूछताछ में पता लगा कि उक्त नंबर 50 हजार रुपये में किसी और को दे दिया गया है। इस खुलासे के बाद उस पीड़ित व्यक्ति ने पैसे रिफंड करने व जांच की मांग की है। मामले में नौ महीने से जांच चल रही है।
यह है मामला गाड़ी मालिक नीतू सिंह की ओर से 25 सितंबर 2019 को वीआईपी नंबर लेने के लिए ऑनलाइन नीलामी बोली में हिस्सा लिया। आठ अक्तूबर 2019 को नंबर दूसरे के नाम हो गया। इस बात की शिकायत को नौ महीने बीतने वाले है, तब से इस मामले की जांच परिवहन आयुक्त मुख्यालय पर चल रही है।
आईटी सेल के अधिकारी प्रभात पांडेय बताते है कि इस तरह का पहला मामला सामने आया है। जांच में गाड़ी मालिक की ओर से कोई लापरवाही सामने नहीं आई है। एनआईसी के साफ्टवेयर में गड़बड़ी की बात सामने आ रही है। ऐसे में जल्द ही गाड़ी मालिक को पूरा पैसा वापस मिलेगा।