संस्था के अध्यक्ष आनंद गुप्ता ने बताया कि वह UPMPA के विशेष आमंत्रित सदस्य भी थे साथ ही में संरक्षक की भूमिका भी निभाते थे। संस्था के उपाध्यक्ष मनीष नंदन ने उर्मिल को याद करते हुए कहा की उर्मिल ने आकावाणी पर नाटकों का प्रचलन शुरू किया तथा वह अपनी लेखनी में विचारो को महत्व देते थे। प्रसिद्ध नाटककार एवं संस्था के महासचिव मुकेश वर्मा ने कहा कि उर्मिल की का जाना हर नाटककार की वक्तिगत क्षति है। वह उनको पुत्र की तरह मानते थे और वह लोक व्यवहार में भी बहुत निपुण थे। अपने 55 वर्षो से भी ज्यादा नाट्य सफर सारे देश में सैकडो नाटकों का मंचन किया। फिल्म अदाकारा एवम संस्था के सचिव राखी जैसवाल ने उर्मिल को याद करते हुए कहा कि उनको हमेशा उनका मार्गदर्शन मिला करता था। फिल्म प्रड्यूसर एवम संस्था के कोषाध्यक्ष धर्मेन्द्र मौर्य ने उनके नाटकों को याद करते हुए कहा कि उनकी लेखनी में जो व्यंग होता था वह समाज एवम मनुष्यो के आपसी रिश्तों आई दूरियो पर सटीक कटाक्ष हुआ करता था।
वरिष्ठ रंगकर्मी एवं संस्था के लीगल एडवाइजर एडवोकेट शक्ति मिश्रा उर्मिल को याद करते हुए कहा की नौटंकी शैली के गायन पर उनकी बहुत मजबूत पकड़ थी और उन्होंने गायन की विधा को परिवर्तित करने की कभी कोशिश नहीं की बल्कि नए और आधुनिक विषयों को अपने नाटकों में पुराने गायन के साथ समावेश किया। वरिष्ठ रंगकर्मी और संस्था के संस्थापक सदस्य देवेंद्र मोदी ने कहां कि उर्मिल का काम लोक कला प्रस्तुति को बचाने में महत्वपूर्ण योगदान देगा। वरिष्ठ चरित्र अभिनेता दिनेश त्रिवेदी जी ने कहां की उर्मिल ने सात आठ वर्ष की आयु से ही रामलीला में हिस्सा लेना शुरू कर दिया था।