अब चिकित्सकों का ध्यान इस बात पर है कि क्या स्वाइन फ्लू का यह वायरस अपग्रेड तो नहीं हो गया है। हालांकि अब शुरुआत तौर पर चिकित्सक यह बात तो मान रहे है कि वायरस ने इस तापमान में भी खुद को जिन्दा रखने की क्षमता विकसित कर ली है।
शहर में तीसरा मामला राजधानी जयपुर में मार्च के महीने में ही स्वाइन फलू के मामले लगातार सामने आ रहे है। इस महीने में ही स्वाइन फलू के तीन मामले सामने आ चुके हैं और झालना निवासी एक युवक की मौत भी हो चुकी है। हांलाकि चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग अब भी यह दावा कर रहा है कि इस बार उतने मामले नहीं है जितने बीते साल थे।
चिकित्सकों का यह भी कहना है कि बीते कई सालों से यह प्रदेश् में स्वाइन फलू का एच1एन1 वायरस सक्रिय है और यह यहां के तापमान में धीरे धीरे खुद को एडजस्ट कर रहा है। लिहाजा यह वायरस 40 डिग्री तापमान में भी जिंदा है। हांलाकि अप्रेल तक स्वाइन फलू के मामले सामने आ सकते हैं क्योंकि वायरस यहां के तापमान के मुताबिक मजबूत है।
प्रदेश में 45 मामले चिकित्सा एवं एवं स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश में इसा साल स्वाइन फलू के 45 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं और दस मौंत हो चुकी है। हांलाकि इस रिकार्ड में निजी अस्पतालों का रिकार्ड शामिल नहीं है। वहीं राजधानी जयपुर में भी स्वाइ फलू से एक युवक की मौत हो चुकी है। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि स्वाइ फलू के मामलों की लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है और जहां भी केस मिलता है वहां आस पास के पचास घरों की स्कीन्रिंग की जाती है।
एसएमएस अस्पताल के मेडिसिन विभाग के वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ रमन शर्मा का कहना है कि वैसे स्वाइन फलू का वायरस सर्दियों में ज्यादा एक्टिव रहता है। लेकिन अब यह वायरस अप्रेल माह तक भी अपना प्रभाव दिखाता रहेगा और स्वाइन फलू के मामले सामने आते रहेंगे। हां इतना जरूर है कि वायरस एपिडमिक इफेक्ट नहीं होगा।