कार्यक्रम के अगले प्रसून में नाटक की शुरूआत होती है इतिहास के उस अध्याय से जब सिकन्दर सिन्धु घाटी को पार करता हुआ भारत के तक्षशिला पहुॅचता हैं और वहां के राजा आम्भी के साथ अन्य राजा महाराजा भी उसकी ताकत के डर से उसकी इतात को कबूल कर लेते है। किंतु वीर राजा पुरू उसकेे सामने झुकने से इन्कार कर देते है। तब सिकंदर विभिन्न चालें चलकर राजा पुरू को पराजित कर उन्हें बंदी बना लेता है। नाटक के अंत में सिकंदर राजा के पुरू के प्रभावशाली एवं साहस से पूर्ण व्यक्तित्व से प्रभावित हो उनका राज्य उन्हें वापस सौंप कर अपने वतन यूनान लौट जाता हैै।
नाटक में राजा पुरू की बहादुरी एवं वचन प्रतिबद्धता के माध्यम से यह संदेश देने की कोशिश की गई है कि हिम्मत एवं सच्चाई से बड़ी से बड़ी जंग को जीता जा सकता है। मंच पर पोरस-उदयवीर सिंह, सिकन्दर-यूसूफ खान, रूखसाना-डा.इफ्फत रूखसार, प्रार्थना-तान्या सूरी एवं राजा आम्भी-नरेन्द्र पंजवानी मुख्य भूमिकाओं में नज़र आये। इस दौरान मुख्य अतिथि के रूप में स्नातक सदस्य विधान परिषद इंजीनियर अवनीश कुमार सिंह के साथ अपर्णा बिष्ट यादव व कला प्रेमी मौजूद रहे। उत्तर प्रदेश आर्टिस्ट एसोसिएशन के सचिव संजय सिंह ने अतिथियों का स्वागत पुष्पगुच्छ व स्मृति चिह्न देकर किया। नाटक के निर्देशक वाॅमिक खान ने कलाकारों को धन्यवाद ज्ञापित किया।