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राज्यपाल ने इन पत्रकारों को किया सम्मानित, जानिए क्यों?

locationलखनऊPublished: Sep 02, 2018 08:31:56 pm

Submitted by:

Anil Ankur

अच्छे कार्य करने के लिए प्रेरित करना पत्रकारिता का ध्येय होना चाहिए – राज्यपाल

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लखनऊ. उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्री राम नाईक ने आज साईंटिफिक कन्वेंशन सेंटर में हिन्दी-उर्दू समाचार पत्र अवधनामा के 15वें स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित सम्मान समारोह में इक़्तदार हुसैन फारूक़ी, विलायत जाफ़री, अब्बास अली मेहदी, रोशन तक़ी, वसीम अख्तर, कौसर उस्मान, असर अब्बास, श्रीमती सुनीता झिंगरन, हैदर नवाब जाफ़री, लामार्टिनियर के छात्र सैय्यद मोहम्मद अयान रिज़वी को ‘वकार-ए-अवध’ अवार्ड से सम्मानित किया। इस अवसर पर महंत देव्या गिरी, हसन रज़ा, सुश्री रूबीना जावेद, सैय्यद मुजाहिद हुसैन रिज़वी, हाजी जावेद हुसैन, नुसरत हुसैन लाला, रियाज अहमद, शाजिया इमदाद आब्दी, मालविका हरिओम, अनुपमा सिंह, मुजना जफ़र, एस0एन0 लाल, मिर्जा फुरकान बेग, को विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया।
राज्यपाल ने अवधनामा के 15 वर्ष पूर्ण होने पर बधाई देते हुए कहा कि 15 साल के सफर का अपना महत्व होता है। अवधनामा धीरे-धीरे अपनी युवावस्था की ओर बढ़ रहा है। ‘मेरा और अवधनामा का एक रिश्ता है। मेरी पुस्तक चरैवेति! चरैवेति!! पर अवधनामा गु्रप की ओर से उर्दू रायटर्स फोरम ने एक संगोष्ठी रखी थी। उर्दू और अवधनामा के कारण मेरी पुस्तक सात समंदर पार जर्मनी तक पहुंची है।’ उन्होंने कहा कि अवधनामा हिन्दी और उर्दू में समाचार पत्र का प्रकाशन करके दोनों भाषाओं को और करीब लाने का काम कर रहा है।
नाईक ने कहा कि देश के संविधान में उल्लिखित सभी भाषायें देश की अपनी भाषायें हैं। सभी भाषाओं को प्रगति करने का अवसर मिलना चाहिए। वह बात और है कि हिन्दी राष्ट्रभाषा है और सभी भाषाओं की बड़ी बहन है। हिन्दी के बाद सबसे ज्यादा बोली और समझी जाने वाली भाषा उर्दू है जिस पर कोई विवाद नहीं है। भाषाएं एक-दूसरे से जोड़ती हैं। हिन्दी और उर्दू दोनों आपस में बहनें हैं। भारत की विशेषता है कि यहाँ विभिन्न धर्माें के लोग एक-दूसरे के साथ मिलकर त्यौहार मनाते हैं। उन्होंने कहा कि जैसे त्यौहार एक-दूसरे से जोड़ते हैं उसी तरह सबको मिलकर समाज को एक सूत्र में बांधना होगा।
राज्यपाल ने कहा कि 1857 तथा 1947 के संग्राम की पृष्ठभूमि में कुछ लोग संघर्ष करते थे और कुछ लोग पत्रकारिता के माध्यम से जन जागरण करते थे। लोकमान्य तिलक ने ‘केसरी’ और ‘द मराठा’ के माध्यम से अभियान चलाया और इसी प्रकार महात्मा गांधी के साथ-साथ अन्य हिन्दी और उर्दू के पत्रकारों ने इसी भूमिका में काम किया। अपनी बात को लोगों तक ले जाने तथा अच्छे कार्य करने के लिए प्रेरित करना पत्रकारिता का ध्येय होना चाहिए। ज्ञानवर्धन और प्रेरणा देने वाली बात पत्रकारिता के महत्व को और बढ़ाती है। उन्होंने कहा कि देशवासियों को जोड़ने में पत्रकारिता का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
इस अवसर पर नेता प्रतिपक्ष विधान सभा राम गोविन्द चैधरी, मौलाना सईदुर्रहमान आज़मी, मौलाना हमीदुल हसन ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम में स्वागत उद्बोधन अवधनामा के प्रमुख वकार रिज़वी ने दिया तथा धन्यवाद ज्ञापन शारिब रूदौलवी द्वारा किया गया। कार्यक्रम का संचालन अब्बास रज़ा नैय्यर ने किया।
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