कोरोना काल की ऐसी विषम परिस्थिति में छात्रों के भविष्य एवं उनके स्वास्थ्य की परवाह किये बगैर परीक्षा कराना उचित नहीं है
बेरोजगार खून के आँसू बहा रहे हैं : दीपक सिंह
लखनऊ , उत्तर प्रदेश कांग्रेस विधान परिषद दल के नेता दीपक सिंह ने कोरोना काल की ऐसी विषम परिस्थिति में छात्रों के भविष्य एवं उनके स्वास्थ्य की परवाह किये बगैर परीक्षा कराने पर सरकार से प्रश्न करते हुए कहा कि कोरोना के इस संकट काल में जहाँ विधान सभा से लेकर मुख्यमंत्री व आला अधिकारी वर्चुअल बैठक करते हैं। वहीं ए0के0टी0यू0 (डाॅ ए0पी0जे0 अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी) के छात्रों की परीक्षा लिए न सिर्फ आदेश दिया गया बल्कि अन्तिम वर्ष के छात्रों की परीक्षा सूची भी जारी कर दी गई।
कोरोना काल की ऐसी विषम परिस्थिति में बिना जाँच और सोशल डिस्टेंसिंग के छात्रों के भविष्य एवं उनके स्वास्थ्य की परवाह किये बगैर, बिना किसी सुरक्षा व्यवस्था के एक ही दिन में 1-1 घंटे के अन्तराल में 2-2 घंटे के तीन विषयों की सम्पूर्ण परीक्षा की तैयारी कर दी गई। यह किसी नजरिये से उचित नहीं है, वो भी बिल्कुल नये पैटर्न पर! परीक्षा की घोषणा के पहले यह भी नहीं सोचा गया कि हाॅस्टल में रहने वाले हजारों छात्र-छात्राएं 500-1000 कि0मी0 दूर से परीक्षा देने कैसे आयेंगे .परीक्षा भले ही एक दिन की हो, इन्हे कम से कम दो दिन पहले अपने काॅलेज वाले शहर में पहुचना होगा।
जिसके दौरान 2-3 दिन ये कहाँ रहेंगे। प्रदेश में लाॅकडाउन होने से हाॅस्टल खोलेंगे नही, होटल अभी खुले नहीं, बच्चे अपने-अपने शहरों से कैसे आयेंगे और आकर कहाँ रहेंगे। क्या परीक्षा हेतु आवाजाही की इस आपाधापी में इन छात्रों या उनके अभिभावकों को किसी तरह के संक्रमण का जोखिम नहीं होगा। इसकी जिम्मेदारी किसकी होगी। क्या सरकार के पास उक्त परीक्षा के लिए आॅनलाइन जैसी परीक्षाओं के साथ अन्य विकल्प पर विचार क्यों नहीं किया। जिसको लेकर पूर्व में इस तरह की परीक्षाएं न कराये जाने एवं फीस माफी की माँग करने वाले छात्रों गौरव त्रिपाठी, आर0 एन0 मिश्रा सहित कई छात्रों पर जनपद-लखनऊ में मुकद्में दर्ज कर दिये गये।
दीपक सिंह ने कहा कि प्रदेश में लाॅकडाउन की स्थिति से जहाँ प्रदेश की जनता आर्थिक तंगी से जूझ रही है, वहीं इस महंगाई के दौर में निजी संस्थानों, फैक्ट्रियों, दुकानों एवं शोरूम में काम करके धन अर्जित कर अपना जीवन यापन करने वाले कर्मचारियों के वेतन में कटौती की जा रही है। यहाँ तक उन्हे नौकरी से भी निकाल दिया जा रहा है। एक तो प्रदेश में चर्चित शिक्षक भर्ती घोटाले में 72 शिक्षकों के पद अभी भी नहीं भरे गये दूसरी तरफ निजी संस्थानों, विद्यालयों में पढ़ाने वाले अध्यापकों के वेतन में 30 से 50 प्रतिशत् की कटौती की जा रही है। बड़े-बड़े शोरूम में काम करने वाले छोटे-छोटे कर्मचारियों के वेतन भी नहीं दिये जा रहे हैं। वेतन की माँग करने पर उन्हे नौकरी से बाहर निकालने की धमकियाँ दी जा रही हैं।