सरकार गठन के बाद से ही अपराधों का ब्योरा नहीं
19 मार्च को योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बने। मंगलवार को इनके छह माह पूरे हुए, लेकिन यूपी पुलिस और सरकार अपराध का ब्योरा देने से घबरा रही है। बल्कि वर्तमान सरकार के संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने पिछले माह विधानसभा सत्र के दौरान विपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए बताया था कि गत 15 अप्रैल से प्रदेश में 18 जुलाई तक 2682 अपहरण, 803 बलात्कार, 729 हत्याएं, 60 डकैती, 799 छिनौती दर्ज हुई थी, लेकिन विपक्ष ने इन आंकड़ों को गलत बताया था। विपक्ष का कहना था कि यह आंकड़े इससे कहीं ज्यादा हैं। वहीं, यह आकड़ा कम होने के बजाय बढ़ता जा रहा है। डीपीजी कार्यालय के सूत्रों की मानें तो बड़ी घटनाओं में 3200 अपहरण, 965 बलात्कार, 1025 हत्याएं, 90 डकैती, 1600 छिनौती की घटनाएं हो चुकी हैं। वहीं चोरी की घटनाएं यूपी में सबसे ज्यादा लंबित पड़ी हैं। जानकारी के मुताबिक इस दौरान दर्ज हुई 70 प्रतिशत से ज्यादा मामले अनसुलझे हैं। हालांकि डीजीपी कार्यालय इन आकड़ों की पुष्टि नहीं कर रहा है।
अपराध से जुड़ी मीटिंग के बाद भी कुछ नहीं बोले अधिकारी
डीजीपी कार्यालय में मंगलवार को एडीजी कानून व्यवस्था आनंद कुमार की अध्यक्षता में यूपी की लगभग सभी वरिष्ठ आईपीएस अफसरों की मौजूदगी में अपराध नियंत्रण को लेकर विशेष बैठक हुई। हालांकि, यहां मौजूद किसी भी अधिकारी यूपी में बढ़ रहे अपराध या क्राइम ग्राफ पर कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया।
सरकार का है दबाव!
डीजीपी कार्यालय से ही पूरे उत्तर प्रदेश के क्राइम और क्राइम ग्राफ पर नजर रखी जाती है। यहीं से क्राइम कंट्रोल की योजना बनती है, लेकिन वास्तविक क्राइम के आंकड़ें साझा करने की बात आती है तो वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी मुकर जाते हैं। डीजीपी कार्यालय के सूत्र बताते हैं कि यह आकड़े सरकार अभी सार्वजनिक नहीं करना चाहिए। यही कारण है कि कोई भी अधिकारी कुछ भी बताने से मुकर रहा है।